- पुडुचेरी में गृह निर्माण में कम कार्बन वाली सामग्री का इस्तेमाल
मुंबई। सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन की दिशा में एक ठोस कदम उठाते हुए एसीसी लिमिटेड ने भारत में हाउस ऑफ टुमॉरो (एचओटी) लॉन्च किया है। यह होल्सिम की एक वैश्विक पहल है। यह कदम एसीसी को पारिवारिक आवासों के निर्माण में कम कार्बन वाली सामग्री को बढ़ावा देने वाली पहली भारतीय निर्माण सामग्री कंपनी बना देगा। हाउस ऑफ टुमॉरो न सिर्फ सस्टेनेबल हैं, बल्कि किफायती, समावेशी और अनुकरणीय भी हैं।
इस पहल का उद्देश्य जीरो कार्बन फुटप्रिंट वाली निर्माण सामग्री का उपयोग करके घरों का निर्माण करना है। भारत में ‘ग्रेटिट्यूड इको विला’ नाम की पहली परियोजना पुडुचेरी में स्थित है। प्रसिद्ध आर्किटेक्ट और सस्टेनेबिलिटी प्रोफेशनल तृप्ति दोशी द्वारा डिजाइन किए गए इस प्रोजेक्ट में स्मार्ट निर्माण पद्धतियों का उपयोग करते हुए समग्र रूप से टिकाऊ घर बनाने के लिए उपयुक्त सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। इस तरह यहां रहने वाले लोगों का जीवन और अधिक आरामदेह और सुविधाजनक होगा।
उम्मीद है कि ईकोपैक्ट ग्रीन कंक्रीट, एसीसी सुरक्षा सीमेंट, फ्लाई-ऐश ब्रिक्स और वर्जिन स्टील रीइन्फोर्समेंट जैसी कम कार्बन वाली सामग्री के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन को 40 प्रतिशत तक कम करना संभव हो सकेगा।
एसीसी लिमिटेड के एमडी और सीईओ श्रीधर बालकृष्णन ने कहा, ‘हमारी पेरेंट कंपनी होल्सिम सस्टेनेबल निर्माण की दिशा में व्यापक बदलाव का नेतृत्व कर रही है। ‘हाउस ऑफ़ टुमॉरो’ की अवधारणा सस्टेनेबिलिटी संबंधी इसी प्रतिबद्धता से सामने आई थी। हमें इस पहल को भारत में पेश करते हुए गर्व हो रहा है, क्योंकि इस तरह हम घर बनाने वालों की भावी पीढ़ियों को हरित उत्पादों और टिकाऊ समाधानों को अपनाने के लिए प्रेरित कर सकेंगे। हम दृढ़ता से मानते हैं कि नवाचार और स्मार्ट डिजाइन के माध्यम से सस्टेनेबिलिटी किसी भी स्थान पर और किसी भी मूल्य सीमा पर सभी के लिए है।’
चयन प्रक्रिया के दौरान 40 से अधिक प्रसिद्ध आर्किटेक्ट्स को हाउस ऑफ़ टुमॉरो पहल में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। जूरी द्वारा समीक्षा के बाद, ग्रेटिट्यूड इको विला को भारत के पहले हाउस ऑफ़ टुमॉरो के रूप में चुना गया था, क्योंकि यह एक खूबसूरती से डिजाइन किए गए घर को प्रदर्शित करने के उद्देश्य को पूरा करता है जो कम कार्बन प्रभाव वाली सामग्री और सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन का उपयोग करता है।
इस अनूठी परियोजना के वेव 1 को 5 देशों – भारत, केन्या, फ्रांस, कनाडा और मैक्सिको में समन्वित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य निवासियों के लिए दीर्घकालिक मूल्य बनाते हुए पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालना है।