- सरला बिरला विश्वविद्यालय में ‘टॉप फिफ्टी इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज’ पर राष्ट्रीय वेबीनार
रांची। आज पूरी दुनिया आधुनिक इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज के कारण बदलाव के दौर से गुजर रही है। जिंदगी में जितने बदलाव 100 वर्षों में नहीं हुए होंगे, उससे अधिक पिछले 20 वर्षों में हो गए। जितने बदलाव पिछले 20 वर्षों में नहीं हुए, उससे अधिक बदलाव आने वाले 7- 8 वर्षों में हो जाएंगे। उक्त बातें फ्रोस्ट एंड सुलीवान कैलिफोर्निया, यूएसए के ग्लोबल प्रेसिडेंट सह मैनेजिंग पार्टनर अरुप जुत्शी ने कही।
जुत्शी 4 मार्च को सरला बिरला विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार में बतौर मुख्य वक्ता कही। इसका टॉपिक ‘टॉप फिफ्टी इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज’ था। वेबीनार की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गोपाल पाठक ने की।
जुत्शी ने ग्रीन हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी, फोरडी मैटेरियल्स, ट्रांसफॉर्मेटिव वैक्सीनस, फोर्थ इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और ओपन रैन टेक्नोलॉजी आदि पर सविस्तार चर्चा की। उन्होंने बताया कि मेडिकल-हेल्थ के लिए टेक्नोलॉजी किस प्रकार मददगार साबित हो सकती है।
मुख्य वक्त ने कहा कि इन टेक्नोलॉजी द्वारा विश्व को विकास के रास्ते में ले जाने में सहयोग मिलेगा। उन्होंने सभी छात्र, शिक्षकों को इन इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज के साथ अनुकूल होने का सुझाव दिया, ताकि नए-नए विज्ञान व तकनीक से अपने आप को अपग्रेड किया जा सके। समाज व राष्ट्र को विकास के मार्ग पर आगे लाया जा सके।
वेबिनार की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि आधुनिक युग तकनीकी का है। इसमें सभी को वर्तमान के साथ-साथ भविष्य में प्रयोग होने वाले टेक्नोलॉजी के साथ स्वयं को अनुकूल बनाना होगा। तकनीकी का बेहतर प्रयोग ही जीवन को सुगम बना सकता है।
विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार वर्मा ने कहा है कि तकनीकी का जीवन में बेहतर प्रयोग करना एक चुनौती है। आवश्यकता भी है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर विजय कुमार सिंह, उप कुलसचिव प्रो अमित कुमार गुप्ता, प्रो संजीव बजाज, प्रो श्रीधर बी दंडीन, डॉ सुबानी बाड़ा, डॉ राधा माधव झा, डॉ मनोज कुमार पाण्डेय, डॉ अशोक कुमार अस्थाना, डॉ संदीप कुमार, डॉ पूजा मिश्रा, डॉ मेघा सिन्हा आदि उपस्थित थे।