जानिए 1973 के बजट को क्यों कहते हैं ‘भारत का ब्लैक बजट’, किसने किया था पेश?

देश नई दिल्ली
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नई दिल्ली। अपनी खासियतों और खामियों के चलते बजट को अलग-अलग विशेषण और नाम भी मिलते हैं. इसी तरह का एक बजट साल 1973 में पेश हुआ था, जिसे भारत के ब्लैक बजट के नाम से जाना जाता है. तब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं और उनकी सरकार के वित्त मंत्री यशवंतराव बी चव्हाण ने 28 फरवरी, 1973 को यह बजट पेश किया था.

* बजट पर कोयले की कालिख *

इस बजट में सामान्य बीमा कंपनियों, भारतीय कॉपर कॉरपोरेशन और कोल माइन्स के राष्ट्रीयकरण (Nationalization of Coal Mines) के लिए 56 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था. हालांकि बजट में 550 करोड़ रुपये का घाटा (Revenue Deficit) दिखाया गया था. ऐसा कहा जाता है कि कोयले की खदानों का राष्ट्रीयकरण किए जाने से काफी असर पड़ा.

कोल माइंस पर सरकार के नियंत्रण से मार्केट कॉम्पिटिशन खत्म हो गया. हालांकि कोयले की खदानों का राष्ट्रीयकरण करना भी जरूरी हो गया था. इंडस्ट्री में कोयले की मांग बढ़ती जा रही थी. सरकार ने ऊर्जा, स्टील और सीमेंट कंपनियों को कोयले की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कोन माइंस का राष्ट्रीयकरण किया था. हालांकि इस प्रावधान के चलते बाद में कोयले के उत्पादन में कमजोरी आई और भारत का उद्योग जगत कोयले के आयात पर निर्भर हो गया.

* क्या होता है ब्लैक बजट*

जब सरकार का खर्च उसकी कमाई की तुलना में ज्यादा होता है, तो सरकार को बजट में कटौती करनी पड़ती है. ऐसे बजट को ”ब्लैक बजट” कहा जाता है. इसे उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं. मान लीजिए सरकार की कमाई 100 रुपए की है, लेकिन उसका खर्च 125 रुपए है. ऐसे में सरकार इस घाटे को पूरा करने के लिए अपने अगले बजट में कटौती करती है. इस तरह के बजट को ब्लैक बजट नाम दिया गया है.

* क्यों पेश करना पड़ा ऐसा बजट*

भारत ने 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़ा था और फिर देश में सूखा पड़ गया था. इस वजह से इंदिरा गांधी की सरकार को 1973 में ”ब्लैक बजट” पेश करना पड़ा था यानी घाटे वाला बजट. जिसमें सरकार का खर्च उसकी कमाई से ज्यादा हो गया था. आजाद भारत का यह पहला और एकमात्र ब्लैक बजट था. तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि देश में सूखे के कारण पैदा हुए हालात और खाद्यान्न उत्पादन में भारी कमी की वजह से बजटीय घाटा बढ़ गया है. इसलिए ब्लैक बजट पेश करने की स्थिति आन पड़ी है.