बदलते परिस्थिति के अनुरूप कृषि तकनीकी प्रसार समय की मांग : कुलपति

कृषि झारखंड
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  • नाबार्ड एवं बीएयू के संयुक्त तत्वावधान में किसानों के प्रशिक्षण का समापन

रांची I राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), रांची और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किसानों के तीसरे प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शनिवार को हुआ। इस अवसर पर बीएयू कुलपति डॉ ओएन सिंह ने कहा कि झारखंड की कृषि पारिस्थितिकी देश के अन्य राज्यों से अलग है। बदलते कृषि परिवेश में समय की मांग एवं किसानों के हितों को ध्यान में रखकर कृषि विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इस दिशा में नाबार्ड के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम का विषय बेहद प्रासंगिक है। समय के अनुसार किसानों की जरूरत बदलती रहती है। उन्होंने नाबार्ड के साथ मिलकर अधिक जागरुकता अभियान चलाने की बात कही।

मुख्य अतिथि नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ गोपा कुमारन नायर ने बीएयू द्वारा आयोजित तीन प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए विश्वविद्यालय का आभार जताया। कहा कि कृषि विकास एवं किसान हित के सामान उद्देश्यों से बीएयू एवं नाबार्ड कार्यरत है। आने वाले समय में राज्य में सतत कृषि विकास बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय के सहयोग से जागरुकता अभियान को मजबूती दी जाएगी। प्रदेश में बहुतायत संख्या में माहिलाएं कृषि कार्यो से जुड़ी है। जिसे देख प्रदेश में महिला किसानों को विशेष रूप से जागरूक करने की जरूरत है।

नाबार्ड के सहायक प्रबंधक अभय कुमार सिंह ने कहा कि खेती योग्य भूमि को उपजाऊ बनाकर सतत कृषि विकास को आगे बढ़ाने में इस कार्यक्रम की महती भूमिका रही है। सहायक प्रबंधक अभिनव कृष्णा ने कहा कि नाबार्ड द्वारा दस जिलों के 12 परियोजना के अधीन इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता शक्ति को बढ़ाते हुए प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देना है।

सहायक प्राध्यापक डॉ नीतू कुमारी ने तीन कार्यक्रमों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। बताया कि तीन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में राज्य के 10 जिले के 175 पुरुष एवं 19 महिला सहित 194 किसानों ने भाग लिया। सभी किसान नाबार्ड के केएफओ प्रोग्राम से जुड़े है। प्रशिक्षण के बाद आकलन में किसानों में 75 प्रतिशत ज्ञान में वृद्धि, 76 प्रतिशत मिट्टी स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता, 87 प्रतिशत मनोभाव एवं सोच में बदलाव देखा गया। किसानों में सब्सिडी स्कीम की जानकारी के सबंध में विशेष रुचि देखी गई।  

प्रशिक्षण समन्यवयक डॉ बीके झा ने बताया कि सभी तीन कार्यक्रमों में किसानों को प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की अवधारणा और मूल्य, मिट्टी की उर्वरता और उत्पादकता में सुधार के लिए रणनीतियां, जैविक खेती के तरीके, एकीकृत कृषि प्रणाली की अवधारणा और अभ्यास, एकीकृत कीट और रोग प्रबंधन, ग्रामीण समृद्धि के लिए पशुधन, किसानों तक कृषि सुचना की पहुंच और किसानों के लिए ऋण योजना के तकनीकों से अवगत कराया गया। इसे व्याख्यान, चर्चा, प्रक्षेत्र भ्रमण, परिभ्रमण एवं प्रश्नोत्तरी के माध्यम को रखा गया था। 

तीसरे प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन पर गोड्डा, पाकुड़ एवं देवघर जिलों के 69 प्रतिभागी किसानों को प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया। मौके पर तीनों कार्यक्रमों के विषय विशेषज्ञों एवं प्रशिक्षकों को प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया। कार्यकम आयोजन में डॉ विनय कुमार, डॉ एचसी लाल एवं डॉ आरपी मांझी ने सहयोग दिया।

स्वागत डीन एग्रीकल्चर डॉ एसके पाल ने किया। संचालन बिरसा हरियाली रेडियो की समन्यवयक शशि सिंह और धन्यवाद डॉ बीके झा ने किया। मौके पर डॉ सुशील प्रसाद, डॉ एमएस मल्लिक, डॉ निभा बाड़ा, डॉ बीके अग्रवाल, डॉ अरविंद कुमार, डॉ रविन्द्र कुमार, पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक ओपी शर्मा एवं एमके श्रीवास्तव भी मौजूद थे।