
बेतिया। लगभग तीन दशक पूर्व धोखाधड़ी का अभियुक्त हाजत से फरार हो गया था। बुढ़ापे में वह पुलिस की गिरफ्त में आया। उसे जेल भेज दिया गया। यह मामल बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले के बेतिया का है।
पुलिस अधीक्षक उपेन्द्रनाथ वर्मा के मुताबिक 30 जनवरी, 1993 को प्रियंका होटल के मालिक नेयाज अहमद ने दो अभियुक्तों के खिलाफा भादवि 420 और 419 में प्राथमिकी संख्या 42/93 दर्ज की थी। इसके आधार पर तत्कालीन नगर थानाध्यक्ष द्वारा दो अभियुक्त राजू श्रीवास्तव और प्रभु श्रीवास्तव को गिरफ्तार कर थाना लाया गया। हाजत में रखा गया था। तभी दोनों आरोपी खिड़की तोड़कर हाजत से फरार हो गये। इसके पश्चात एक और प्राथमिकी संख्या 43/93 दर्ज की गई थी। उसी मामलों में राजू श्रीवास्तव पर फरारी वारंट जारी था।
गिरफ्तारी से बचने के लिए राजू श्रीवास्तव उर्फ डॉ राजू श्रीवास्तव पता और नाम बदलकर इसी शहर में बानुछापर ओपी क्षेत्र के लक्ष्मीनगर में रह रहा था। वर्तमान में उसे डॉ राजकुमार प्रसाद के नाम से जाना जा रहा था। पुलिस अधीक्षक उपेन्द्रनाथ वर्मा के निर्देश पर नगर थानाध्यक्ष राकेश कुमार भास्कर के नेतृत्व में एक टीम लगातार उनकी तलाश कर रही थी। लगभग 28 साल बाद डॉ राजू श्रीवास्तव उर्फ डॉ राजकुमार प्रसाद पकड़ा गया। सलाखों के पीछे पहुंच गया।
जानकारी के अनुसार प्राथमिकी दर्ज होने के वक्त वर्ष 1993 में आरोपी राजू श्रीवास्तव उज्जैन टोला में एक अधिवक्ता के मकान में रहता था। इसके पश्चात वह अपने वर्तमान पता ठिकाना से गायब हो गया। इसकी जानकारी किसी को नहीं थी। इसके कारण अब तक वह पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर अपने घर आराम से रह रहा था। किसी को भी भनक नहीं लग पा रही थी कि बदला हुआ नाम डॉ राजकुमार प्रसाद ही राजू श्रीवास्तव उर्फ डॉक्टर राजू श्रीवास्तव है।