रांची। बिरसा कृषि विश्विद्यालय की व्यवसाय नियोजन एवं विकास सोसाइटी (बीपीडी बीएयू सोसाइटी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सिद्धार्थ जायसवाल को देश के अग्रणी प्रबंध संस्थान-भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद में ‘प्राकृतिक खेती में व्यवसाय प्रबंधन’ विषय पर व्याख्यान के लिए निमंत्रण दिया गया। आईआईएम अहमदाबाद के अर्थशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ सतीश देवधर ने जायसवाल को ‘खाद्य गुणवत्ता का अर्थशास्त्र’ पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया था।
डॉ देवधर ने बताया कि भारत सरकार और नीति आयोग ने पिछले कुछ वर्षों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इससे कई लोगों में उत्सुकता है। इसके कई पहलुओं में जानकारी की बहुत कमी भी है। आज कई नवयुवक और नवयुवतियां इसमें अपना करियर देख रहे हैं। बहुतों ने प्राकृतिक खेती में कदम भी रखा है।
जायसवाल ने अपने ऑनलाइन व्याख्यान में झारखंड में प्राकृतिक खेती की एक पद्धति ‘अमृत कृषि’ को बढ़ावा देने के लिए बीपीडी सोसायटी की पहल पर पिछले आठ वर्षों के दौरान कई किसानों के समूहों के गठन तथा उनके उत्पाद की मार्केटिंग की भी व्यवस्था सम्बन्धी अपने अनुभव साझा किये।
अमृत कृषि की तकनीक और फायदों पर प्रकाश डालते हुए जायसवाल ने बताया कि कोरोनाकाल में अब लोगों को समझ में आ रहा है। अगर हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करनी है तो उच्च गुणवत्तायुक्त पोषक तत्वों से भरपूर अनाज तथा सब्जियों का सेवन करना होगा। अगर हमें हमारे अनाज एवं सब्जियों में पोषक तत्वों की वृद्धि चाहिए तो देसी बीज के साथ प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर होना ही पड़ेगा।
जायसवाल के इस अनुसंधान पर उनको अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के पोषण सम्मेलन में 2018 में प्रथम पुरस्कार भी मिला था। जायसवाल ने रांची में ओरमांझी प्रखंड के दुबलिया गांव में प्राकृतिक कृषि द्वारा सब्जियों की बहुस्तरीय खेती के एक सामुदायिक प्रकल्प की शुरुआत की है। इसमें रांची शहर के बहुत से लोग अपनी जैविक सब्जियां खुद उगाना सीख रहे हैं।
पूर्वी सिंहभूम जिला के चाकुलिया और घाटशिला प्रखण्ड में भी जायसवाल आदिवासी किसानों के साथ पिछले पांच वर्षों से प्राकृतिक खेती में कार्य कर रहे हैं। इससे वहां के किसानों की आय काफी बढ़ी है।