पंजाब सरकार ने अंबुजा मनोविकास केंद्र को लगातार तीसरे वर्ष किया सम्मानित

देश मुंबई
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मुंबई। पंजाब के रोपड़ जिले में दिव्यांग बच्चों के लिए कार्यरत शैक्षणिक संस्थान अंबुजा मनोविकास केंद्र (एएमके) को दिव्यांग व्यक्तियों के कल्याण के लिए काम करने पर पंजाब सरकार द्वारा लगातार तीसरी बार मान्यता दी गई है। यह संस्था अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन (एसीएफ) की एक पहल है, जो अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड की सीएसआर शाखा है।

इस वर्ष एएमके की छात्रा प्रिया देवी ने ‘बेस्ट स्पोर्ट्सपर्सन विद डिसएबिलिटी’ श्रेणी में पुरस्कार जीता। एएमके की प्रिंसिपल अनुपमा ने ‘बेस्ट इंडिविजुअल प्रोफेशनल वर्किंग विद पीपुल विद डिसएबिलिटीज’ श्रेणी में पुरस्कार हासिल किया।

प्रिया देवी इस समय रूस के कजान में होने वाले वर्ल्ड विंटर गेम्स 2023 की ट्रेनिंग ले रही हैं। उनके परिवार को पहली बार उनकी दिव्यांगता का एहसास तब हुआ, जब एएमके टीम ने उनके गांव का सर्वेक्षण किया। वर्ष, 2018 में उन्हें तुरंत एएमके में नामांकित किया गया, जिसने खेल के प्रति उनके जुनून को जन्म दिया। 2019 में उन्होंने 22वें पंजाब स्टेट स्पेशल ओलंपिक में 100 मीटर वॉक में स्वर्ण पदक और 100 मीटर डैश में रजत पदक जीता।

फिर, उन्होंने फ्लोरबॉल में राष्ट्रीय चौम्पियनशिप के लिए स्टेट ट्रायल्स में भाग लिया। प्रतियोगिता के लिए सफलतापूर्वक चुनी गईं। महामारी के बावजूद उन्होंने खुद अपने घर पर ट्रेनिंग लेना जारी रखा। खुद को दिल्ली और हरियाणा में फ्लोरबॉल की राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भाग लेने के काबिल बनाया।

इंडिया होल्सिम के सीईओ और अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड के एमडी और सीईओ नीरज अखौरी ने कहा, ‘हमारा उद्देश्य दिव्यांग बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना और उन्हें ऐसे कौशल के साथ मजबूत बनाना है, जो उन्हें स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाता है। अंबुजा मनोविकास केंद्र के माध्यम से हमने हमेशा लोगों को जीवन में उनकी पूरी क्षमता तक पहुंचने में मदद करने का प्रयास किया है। हमारे शिक्षकों और अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट छात्रों द्वारा हासिल की गई ये उपलब्धियां प्रेरणादायक हैं। हमें इस बात की खुशी है कि इन प्रतिभाशाली लोगों ने हमें बार-बार गौरवान्वित किया है।‘

अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन की निदेशक और सीईओ सुश्री पर्ल तिवारी ने कहा, ‘एएमके ने अपनी सुविधा के माध्यम से दिव्यांग युवाओं को सशक्त बनाया है, जिसमें बौद्धिक रूप से अक्षम, सुनने में अक्षम और दृष्टिहीन लोगों को अपनी क्षमताओं का एहसास करने और अपने जीवन में प्रयासों को प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाया गया है। यह सारा श्रेय उनके शिक्षकों और अन्य स्टाफ सदस्यों को जाता है जिन्होंने इस उल्लेखनीय उपलब्धि को संभव बनाया है।‘

एएमके की प्रिंसिपल सुश्री अनुपमा एक विशेष शिक्षक के रूप में पिछले 19 वर्षों से एएमके से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने उसी क्षेत्र में उच्च अध्ययन किया। आज वे ग्रामीण रोपड़ के 120 से अधिक बच्चों की देखरेख करने वाले अंबुजा मनोविकास केंद्र की प्रिंसिपल के रूप में चुनौतीपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। दिव्यांग और विमंदित युवा छात्रों की जरूरतों को समझना और सहानुभूति और करुणा के साथ उनका विश्वास जीतने की उनकी क्षमता दूसरों के लिए वाकई प्रेरणादायक और उल्लेखनीय है।

महामारी के दौरान एएमके ने ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से अपने छात्रों को घर पर आवश्यक सेवाएं प्रदान करना जारी रखा। माता-पिता को भी लॉकडाउन के दौरान अपने बच्चों के साथ काम करने का अधिकार दिया। महामारी के दौरान प्रमुख कौशल और सीख को बनाए रखने में छात्रों का समर्थन करने के लिए वर्चुअल प्लेटफॉर्म के जरिये विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया गया और विपरीत हालात में भी उन्हें लगातार सपोर्ट प्रदान करना जारी रखा।