बांका। बिहार के बांका लोकसभा की प्रथम सांसद व लोकसभा का दो बार प्रतिनिधित्व कर चुकीं पूर्व सांसद शकुंतला देवी का निधन शनिवार देर रात हो गया। उन्होंने अंतिम सांस पटना स्थित अपने आवास पर लीं। वे 91 वर्ष की थीं। उनके तीन पुत्र सुनील कुमार सिंह, राजू कुमार सिंह अनिल कुमार सिंह, पुत्री वीणा कुमारी सहित भरा-पूरा परिवार है।
उनका मायका बेलहर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत डुमरिया गोरगामा पड़ता है। वे ज्यादातर यही रहीं। घर में राजनीतिक परिवेश की वजह से वे भी सियासत में कूद गईं। उनके पति जसवंत सिंह डीएसपी थे। उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई भागलपुर के मोक्षदा गर्ल्स हाई स्कूल व पटना स्थित इंटर वीमेंस से की थीं। वे लंबे समय से पटना स्थित आवास पर अपने हाईकोर्ट के अधिवक्ता पुत्र राजू सिंह के साथ रहती थीं। उनके निधन से कांग्रेस सहित सभी दलों में शोक की लहर है। कोविड की वजह से उनके पार्थिव शरीर को संभवत: बांका नहीं लाने की पारिवारिक सहमति बनीं है।
जानकारी के मुताबिक उनके दादा भिखारी महतो सत्याग्रह आंदोलन में सक्रिय थे। साथ ही कांग्रेस के जाने-माने नेता थे। गांधी जी के आह्वान पर वे स्वतंत्रता आंदोलन में अपने जीवन को सौंप दिया, जबकि उनके पिता भी कांग्रेसी लीडर व देशभक्त थे। वर्ष 1952 में जब भागलपुर दक्षिणी लोकसभा क्षेत्र के हिस्से में बांका क्षेत्र हुआ करता था, तब पहली सांसद सुषमा सेन बनीं थीं। लेकिन 1957 में खुद संसदीय क्षेत्र के रूप में बांका अस्तित्व में आया, तो इसकी पहली सांसद शकुंतला देवी बनीं।
उसके बाद 1962 के लोकसभा चुनाव में भी वे दूसरी बार विजयी रहीं। उन्हें यह दोनों मौका कांग्रेस के टिकट पर मिला था। हालांकि उसके बाद वे बेलहर विधानसभा से भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं व जीत गईं। इस लिहाज से वे 1972 से 1977 तक बेलहर विधायक रहीं। कांग्रेस पार्टी में भी उनका कद काफी बड़ा रहा। वर्ष 1984 में कांग्रेस के महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष बनीं और लंबे समय तक इस पद पर बनी रहीं।