कौन हैं नीना गुप्ता जिन्होंने रामानुजन पुरस्कार जीत कर गणित विषय में रोशन किया नाम ?

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नई दिल्ली। नीना गुप्ता रामानुजम पुरस्कार जीतने वाले दुनिया की तीसरी महिला हैं। यह जानकारी मिनिस्ट्री ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने दी है। अलजेब्रिक जियोमेट्रो और कम्यूटेटिव अल्जेब्रा में शानदार कार्य के लिए नीना गुप्ता को ‘विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों का 2021 DST-ICTP-IMU रामानुजन पुरस्कार’ दिया गया है।

नीना को ये पुरस्कार मिलने के बाद इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट (ISI) का मान और ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि अब तक जिन चार भारतीयों को रामानुजम पुरस्कार मिला है उनमें से तीन ISI के ही फैकल्टी मेंबर हैं। इस पुरस्कार के मिलने से पहले नीना गुप्ता को साल 2019 में शांति स्वरूप भटनागर प्राइज फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी से भी सम्मानित किया जा चुका है।

अलजेब्रिक जियोमेट्रो के फील्ड में Zariski Cancellation Problem को सॉल्व करने के लिए उन्हें नेशलन साइंट अकेडमी द्वारा यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। अकादमी ने उनके द्वारा हल किये गए सवाल को ’हाल के वर्षों में कहीं भी किए गए बीजगणितीय ज्यामिति में सर्वश्रेष्ठ कार्य’ बताया है। यह कठिन सवाल 1949 में ऑस्कर जारिस्की ने प्रस्तुत किया था। नीना गुप्ता कोलकत्ता में जन्मी और यहीं पली बढ़ीं। उन्होंने खालसा हाई स्कूल से अपनी स्कूलिंग पूरी करने के बाद पढ़ाई के उन्होंने बेथ्यून कॉलेज में बीएससी मैथ्स (एच) की डिग्री प्राप्त की।

इसके बाद नीना ने इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट से गणित में मास्टर्स और पीएचडी की। पुरस्कार जीतने के बाद इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए नीना ने कहा कि मैं इस पुरस्कार को प्राप्त करने के बाद सम्मानित महसूस कर रही हूं। हालांकि यह पर्याप्त नहीं है। अभी बहुत सी गणितीय समस्याएं हैं जिनका समाधान हमें खोजना है।” बता दें कि 45 वर्ष से कम आयु के युवा मैथमेटिशियन को गणित के क्षेत्र में नई पहचान बनाने के लिए रामानुजन पुरस्कार दिया जाता है।