रांची। भारतीय बाल और किशोर मानसिक स्वास्थ्य संघ के 16वें द्विवार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन 26 दिसंबर को सीआईपी, रांची में संपन्न हुआ। इस दिन मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न विषयों पर 20 से अधिक प्रतिभागियों ने नि:शुल्क पेपर प्रस्तुत किया।
इस दिन में अनुभवी लोगों द्वारा जेंडर असंगति, बच्चे और किशोरों में आघात, पोक्सो अधिनियम पर चर्चा की गई। ई पोस्टर की प्रस्तुति तीसरे दिन भी जारी रही। इसमें 12 प्रतिभागियों ने प्रस्तुति दी। सम्मेलन के दौरान 25 प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुति दी गई।
अंतर्राष्ट्रीय प्रस्तुतकर्ता (डॉ) सुसान शूर-फेन गौ (उपाध्यक्ष और उपस्थित चिकित्सक, राष्ट्रीय ताइवान विश्वविद्यालय अस्पताल, ताइवान) ने न्यूरोइमेज एंडोफेनोटाइप्स, अनुदैर्ध्य परिणामों और उपचार प्रभावों द्वारा न्यूरोडेवलपमेंटल विकारों को प्रस्तुत किया। प्रोफेसर (डॉ) प्रतिभा कारंत (पूर्व विभागाध्यक्ष, अखिल भारतीय भाषण और श्रवण संस्थान, मैसूर) ने ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकारों (एएसडी) में शुरुआती हस्तक्षेप पर प्रकाश डाला। यह बात उभरकर सामने आई कि ऑटिज्म एक न्यूरो डेवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जो दुनिया भर में 160 बच्चों में से 1 को है।
सम्मेलन का समापन आयोजन सचिव डॉ निशांत गोयल द्वारा सम्मेलन के वैज्ञानिक कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के साथ हुआ। इसके बाद डॉ किशोर विश्वनाथ गूजर (अध्यक्ष आईएसीएम) ने पुरस्कारों का वितरण किया।
शुरुआत में डॉ संजय कुमार मुंडा ने बाल और किशोर मानसिक स्वास्थ्य के विषयों को छुआ। इसे प्रतिनिधियों की टिप्पणियों द्वारा जारी रखा गया। IACAM के महासचिव डॉ क्षितिज श्रीवास्तव ने तीन दिवसीय द्विवार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन पर अपनी टिप्पणी को आगे जोड़ा।
IACAM के निवर्तमान अध्यक्ष डॉ किशोर गुजर ने भी समापन समारोह में नव निर्वाचित अध्यक्ष डॉ देबशीष कोनार का परिचय कराया।
तीन दिवसीय सम्मेलन ने लगभग 70 गतिविधियों हुई। इसमें वैज्ञानिक पत्र, ई-पोस्टर, संगोष्ठी, व्याख्यान, कार्यशालाएं आदि शामिल थे। ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड के माध्यम से 250 से अधिक प्रतिभागी और प्रतिनिधि उपस्थित थे।