नई दिल्ली। प्रकाशवीर शास्त्री का जन्म 30 दिसंबर, 1923 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के गाँव रेहड़ा में हुआ। उनका वास्तविक नाम ओमप्रकाश त्यागी था। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से एम.ए. (स्नातकोत्तर) की डिग्री प्राप्त की। प्रकाशवीर गुरुकुल वृन्दावन के कुलपति बने। उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से प्राप्त हुई। वे किशोरावस्था से ही राजनीति में सक्रिय हो गये थे। इन्होंने ही सबसे पहले 11 मार्च 1964 को लोकसभा में प्राइवेट बिल लाकर कश्मीर से धारा 370 हटाने की मांग संसद में रखी थी।
प्रकाशवीर शास्त्री ने हिंदी, धर्मांतरण, अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों तथा पांचवें और छठे दशक की अनेक ज्वलंत समस्याओं पर अपने बेबाक विचार व्यक्त किए। 1957 में आर्य समाज द्वारा संचालित हिंदी आंदोलन में उनके भाषणों ने जबर्दस्त जान फूंक दी थी। 1958 में स्वतंत्र रूप से लोकसभा सांसद बनकर संसद में गये। प्रकाशवीर शास्त्री संयुक्त राज्य संगठन में हिन्दी बोलने वाले पहले भारतीय थे जबकि दूसरे अटल बिहारी वाजपेयी थे।
आर्य समाज की अस्मिता को बनाए रखने के लिए आपने 1939 में मात्र 16 वर्ष की आयु में ही हैदराबाद के धर्म युद्ध में भाग लेते हुए सत्याग्रह किया तथा जेल गये। आप इतना ओजस्वी व्याख्यान देते थे कि कुछ ही समय में इनका नाम देश के दूरस्थ भागों में चला गया और इनके व्याख्यान के लिए इनकी देश के विभिन्न भागों से माँग होने लगी। इन्होंने भी इस समय अपनी आर्य समाज के प्रति निष्ठा व कर्तव्य दिखाते हुए सत्याग्रह में भाग लिया।
इस आन्दोलन ने इनको आर्य समाज का सर्वमान्य नेता बना दिया। वर्ष 1975 में प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन, जो नागपुर में सम्पन्न हुआ, में भी इन्होंने खूब कार्य किया। प्रकाशवीर शास्त्री का निधन 23 नवंबर 1977 को उत्तर प्रदेश में हुआ।