रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का जेपीएससी पीटी परीक्षा को क्लीन चिट देना राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। यहां के प्रतिभावान विद्यार्थियों को हताश और निराश करने वाला है। मुख्यमंत्री जेपीएससी पीटी भ्रष्टाचार को जस्टीफाइड कर रहे हैं। कदाचार को सदाचार बता रहे हैं। उक्त बातें 19 दिसंबर को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कही। वह पार्टी कार्यालय में प्रेस से बात कर रहे थे।
शाहदेव ने कहा कि झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा ली गई 7वीं से 10वीं की पीटी परीक्षा में भ्रष्टाचार पूरी तरह उजागर हुआ है। आयोग ने अभ्यर्थियों एवं भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों की स्वयं पुष्टि भी की है। उसी का परिणाम है कि 49 ओएमआर सीट नहीं मिलने के कारण उतीर्ण अभ्यर्थियों को अनुतीर्ण किया गया।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री जेपीएससी पीटी में हुए भ्रष्टाचार की जांच कराकर दूध का दूध और पानी का पानी कराएंगे। हालांकि उन्होंने इसे दूसरी दिशा में मोड़ने की कोशिश की है। राज्य की युवाशक्ति न्याय के लिए संघर्ष कर रही है, जिनपर सरकार लाठियां बरसा रही है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भी हमला बोला जा रहा। आंदोलनरत छात्रों के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा, जैसे वे आतंकवादी हों। रात में जबरन उठाकर ले जाना, ये कौन सा न्याय है।
शाहदेव ने कहा कि भाजपा भी चाहती है कि राज्य के आदिवासी मूलवासी प्रतिभावान छात्रों की नियुक्ति हो। हालांकि इसमें तो वैसा नहीं दिख रहा है। गरीब और प्रतिभावान आदिवासी मूलवासी छात्रों को नौकरी से वंचित रखने की साजिश की जा रही। पिछली भाजपा सरकार में लाख से अधिक नियुक्तियां हुई थी, जिसमे 90 प्रतिशत आदिवासी मूलवासी छात्र थे।
प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा ने मेडिकल कॉलेज में भी पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया। सहायक पुलिसकर्मियों में 100 प्रतिशत, पंचायत सचिव में 90 प्रतिशत, होमगार्ड में 100 प्रतिशत, स्वच्छता मिशन में भी अधिकांश आदिवासी-मूलवासी अभ्यर्थी हैं। फिर सरकार उन्हें क्यों प्रताड़ित कर रही है।
शाहदेव ने सवाल उठाया कि राज्य के 32 लाख किसान तो यही के मूलवासी है। फिर कर्ज क्यों माफ नहीं हुआ। आदिवासी मूलवासी बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता से क्यों वंचित रखा गया।
जेपीएससी और जेएसएससी के अध्यक्ष पद क्यों वैसे लोगों से भरे गए, जो केवल नौकरी के नाम पर झारखंड आये थे। यहां पर आदिवासी मूलवासी प्रेम कहां गया। प्रतुल ने कहा कि नियुक्ति वर्ष का अंतिम महीना के भी 19 दिन गुजर चुके हैं, परंतु सरकार अब तक कोई विज्ञापन नहीं निकाल सकी है।