
जमशेदपुर। रतन टाटा का जन्म 1937 को गुजरात के सूरत में हुआ था। उनके पिता का नाम नवल टाटा था। वहीं उनकी मां का नाम सौनी टाटा था। नवल टाटा, टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के दत्तक पोते थे। रतन टाटा ने 25 साल की उम्र में टाटा समूह के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी।
रतन टाटा उदार चरित्र और लोगों की मदद के लिए भी जाने जाते हैं। मुंबई आतंकी हमले के दौरान मुंबई में उनकी पांच सितारा होटल को निशाना बनाया गया, तब उन्होंने अपने कर्मचारियों की खुले हाथों से मदद की। ताज होटल पर हमले के बाद रतन टाटा खुद वहां पहुंचे थे। टाटा खुद हर घायल के घर गए और परिजनों को भरोसा दिलाया। रतन टाटा ने अपने कर्मचारियों की ही नहीं, हमले में प्रभावित आसपास के ठेलेवालों की भी मदद की।
हालाँकि बाद में वे अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल भी गए। वे कॉर्नेल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर के पूर्व छात्र भी रहे। साल 1971 में उनको नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड का डायरेक्टर-इन-चार्ज नियुक्त किया गया था। जे आर डी टाटा वर्ष 1991 में टाटा संस के चेयरमैन पद से सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद रतन टाटा को टाटा संस का पांचवां चेयरमैन भी बनाया गया। इसके बाद तो जैसे उन्होंने अपनी मेहनत से टाटा समूह की छवि बदल कर रख दी।
रतन टाटा के नेतृत्व में कंपनी ने कई अन्य बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया। इसी क्रम में में टाटा टी ने टिटले, टाटा मोटर्स ने जगुआर लैंड रोवर और टाटा स्टील ने कोरस का भी अधिग्रहण कर लिया। रतन टाटा को उनके देश के प्रति प्रेम और अपने कार्यक्षेत्र में कर्मठता के चलते सन 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।