कोरबा (छत्तीसगढ़)। लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण की मांग पर एसईसीएल के कुसमुंडा कार्यालय पर भूविस्थापित किसान धरना देकर बैठे हैं। माकपा और किसान सभा ने अब 11 नवंबर को विस्थापित और पुनर्वास ग्रामों में बसाहट की समस्या और भू विस्थापितों के रोजगार एवं मुआवजे के सवाल पर 11 सूत्रीय मांगों को लेकर गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय को भी घेरने की धमकी दी है। समस्या का उचित समाधान नहीं होने पर खदान का उत्पादन और कोयल परिवहन बंद करने की भी तैयारी भी आंदोलनकारी कर रहे हैं। इस आंदोलन के लिए गांव-गांव में बैठकें हो रही है। जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, संजय साहू, पुरषोत्तम, देव कुंवर आदि के नेतृत्व में इन बैठको का आयोजन किया जा रहा है।
माकपा और किसान सभा के 11 सूत्रीय मांगपत्र में सभी प्रभावित खातेदारों को स्थाई रोजगार देने, पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण करने, सभी प्रभावितों को वर्तमान दर पर मुआवजा और पूर्ण विकसित बसाहट देने, भू विस्थापित परिवारों के सभी सदस्यों को निःशुल्क शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने, खनन प्रभावित ग्रामों एवं पुनर्वास ग्रामों में पेयजल, तालाब, निस्तारी, बिजली आदि बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने, सभी भू-विस्थापित परिवारों को भू-विस्थापित प्रमाण पत्र देने और पुनर्वास ग्राम गंगानगर में तोड़े गये मकानों और शौचालयों का क्षतिपूर्ति मुआवजा तत्काल दिये जाने की मांगें शामिल है।
माकपा जिला सचिव प्रशांत झा और छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सहसचिव दीपक साहू ने कहा कि इन मांगों पर कई बार एसईसीएल के गेवरा महाप्रबंधक को मांगपत्र सौंपा गया है, लेकिन प्रबंधन प्रभावित भू-विस्थापित किसानों की समस्या को लेकर गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरबा जिले में एसईसीएल द्वारा भू-अधिग्रहण के एवज में रोजगार को 5000 से ज्यादा मामले पिछले 20 सालों से लंबित हैं, लेकिन इस पर एसईसीएल कोई कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए समस्याओं के निराकरण के लिए चरणबद्ध आंदोलन के रूप में मुख्यालय घेराव, उत्पादन बंद और रेलवे लाइन जाम करने की चेतावनी दी गई है। उन्होंने कहा कि 11 नवंबर को भू-विस्थापित किसानों का आक्रोश जनसैलाब के रूप में सड़कों पर उतरेगा।