प्रशांत अंबष्ठ
गोमिया (बोकारो)। झारखंड के बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड के सीसीएल कथारा क्षेत्र के उचितडीह के संताली विस्थापितों को विस्थापन के 52 वर्ष बाद भी ना नियोजन मिला, ना ही मुआवजा। विस्थापित 1970 से ही कथारा के उचितडीह को छोड़ गोमिया प्रखंड के सुदूरवर क्षेत्र कर्री पंचायत के बाराटांड जंगल में निवास कर जिल्लत की जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
रोजगार नहीं मिलने पर बंजर भूमि पर खेतीबारी कर किसी तरह परिवार को चला रहे हैं। विस्थापित मेहीलाल मरांडी, गोपीनाथ मांझी, लालचन्द मांझी, सहदेव मांझी, लालजी मांझी, बाबुचन्द मांझी, अजित मरांडी, शिवचंद्र मांझी, अजित मरांडी ने कहा हम सभी ने झारंखड सरकार और सीसीएल के सीएमडी को पत्राचार कर जानकारी दी है। गोमिया विधायक डॉ लबोंदर महतो ने विधानसभा में मामले को भी उठाया था, पर आज तक इन विस्थापितों को हक नहीं मिला है।
ग्रामीणों ने कहा की हमारे पूर्वजों की जमीन से उत्पादित कोयला से विद्युत पैदा हो रहा है। कई शहर, कल कारखाने जगमगा रहे हैं। हम सभी का जीवन अंधकार में है। ग्रामीणों का कहना है कि 2009 में उसी स्थान के कुछ विस्थापितों को नियोजन दिया गया है। इसके बाद से हम लोग बराबर पत्राचार और फरियाद कर रहे है। हालांकि प्रबंधन सिर्फ टाल मटोल कर रहा है।