न्यूजीलैंड: लागू हुआ ‘इच्छा-मृत्यु’ कानून, फॉर्म से अप्लाई कर अपनी मर्जी से मर सकेंगे लोग

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न्यूजीलैंड। न्यूजीलैंड में इच्छा मृत्यु वाला कानून लागू हो गया है। कुछ लोग इच्छामृत्यु कानून का विरोध कर रहे है। उनका कहना है कि इच्छा मृत्यु से समाज का इंसानी जीवन और मूल्यों को प्रति सम्मान कमजोर हो जाएगा। जिससे कमजोर लोगों, खासकर विकलांग या जीवन के अंतिम दिनों में रह रहे लोगों की देखभाल में कमी आएगी।

इस कानून को इससे पहले कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, नेदरलैंड, कोलंबिया और स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों में क़ानूनी दर्जा दिया गया था। न्यूजीलैंड में इस कानून को लागू करने के लिए लोगों से जनमत संग्रह किया गया था, जिसमे 65 % लोगों ने इसके पक्ष में वोट दिया। न्यूजीलैंड में कई सालों से में इच्छा मृत्यु वाला कानून लागु करने पर बहस चल रही है। इस देश में उनहीं लोगों को अपनी मर्जी से मरने की अनुमति मिलेगी, जिसे टर्मिनल इलनेस (अंतिम आजार) है। जिससे व्यक्ति की मौत अगले छह महीने में होने वाली है। इसके उस व्यक्ति को दो या उससे ज्यादा डॉक्टरों की सहमति लेना अनिवार्य है।

वही कानून समर्थकों का कहना है कि अब इंसान को अधिकार है कि वह कब और कैसे मरना चाहेगा। इच्छा मृत्यु अब इंसान को सम्मान के साथ मरने का अधिकार देता है। न्यूजीलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय ने विदेशों के इस तरह के मामलों की जाँच कर विश्लेषण करने के बाद कहा है कि हर साल सिर्फ 950 लोग इच्छा मृत्यु के लिए अप्लाई कर सकेंगे, जिसमें से सिर्फ 350 लोगों की मदद की जाएगी।

अभी तक यह अंदाजा नहीं लगाया जा सका की कितने लोग आवेदन कर सकते है। इस काम के लिए वहां के डॉक्टरों को ट्रेनिंग भी गई है। लेकिन बहुत से डॉक्टर इस कानून के विरोध में में उतरे है। उनका मानना है की मरीज उचित देखभाल की जाए तो जरुरी नहीं की उसको इच्छा मृत्यु की जरुरत पड़े। लेकिन बहुत से मामलों में यह भी देखा गया है कि देखभाल के बावजूद भी बहुत से लोग ठीक नहीं हुए है।