दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी आज 94 वर्ष के हो गए। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके घर जाकर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी। इससे पहले उन्होंने ट्वीट के माध्यम से भी उन्हें जन्मदिन की बधाई दी थी।
इस दौरान पीएम के साथ उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहे। देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री व गृह मंत्री आडवाणी का जन्म अविभाजित भारत के सिंध प्रांत (अब पाकिस्तान) के कराची शहर में एक सिंधी हिंदू परिवार में हुआ था। भाजपा को राष्ट्रीय क्षितिज पर उभारने का सबसे बड़ा श्रेय आडवाणी को ही दिया जाता है।
उन्होंने 80 के दशक में अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए यात्रा निकाली, जिसके बाद देश भर में भाजपा का जनाधार बढ़ता गया। पीएम मोदी ने ट्वीट में कहा, सम्मानीय आडवाणी जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं। उनके लंबे व स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं। लोगों को सशक्त करने और हमारे सांस्कृतिक गौरव को बढ़ाने के लिए उन्होंने जो प्रयास किए, देश इसके लिए उनका ऋणी रहेगा। विद्वता व बुद्धिमत्ता के लिए भी उनका हर ओर सम्मान किया जाता है।’’
* पार्टी अध्यक्ष बनने से किया था इनकार *
आडवाणी ने अपनी किताब ‘मेरा देश मेरा जीवन’ में लिखा है कि जब उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाने की चर्चा हुई थी तो वह इसके लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने किताब में लिखा कि 1968 में पंडित दीन दयाल उपाध्याय के निधन के बाद अटल बिहारी वाजपेयी को पार्टी का मुखिया बनाया गया था लेकिन 1971 में वह इस पद को छोड़ने को लेकर गंभीरता से विचार करने लगे।
उन्होंने बताया कि 1972 के शुरुआती समय में अटल जी ने मुझसे कहा कि आप पार्टी के अध्यक्ष बन जाइए, यह सुनते ही मैं पेरशान हो गए और कहा कि मैं पार्टी का अध्यक्ष कैसे हो सकता हूं, मैं तो किसी जनसभा में भाषण तक नहीं दे सकता हूं। इसके जवाब में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि अब तो आप संसद में बोलने लगे हैं कि तो अब किस बात का संकोच है।