- अंधविश्वासी परंपराओं का इलाज सिर्फ शिक्षा
- ‘बाल पत्रकार कार्यक्रम’ में शामिल हुए सीएम
रांची। कांके रोड रांची स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में 20 नवंबर को यूनिसेफ एवं नव भारत जागृति केंद्र रांची के संयुक्त प्रयास से ‘बाल पत्रकार कार्यक्रम’ आयोजित की गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यूनिसेफ के बाल पत्रकारों से मुलाकात की। उनके साथ बाल अधिकार एवं बच्चों के मुद्दों पर बातचीत की। उनका उत्साहवर्धन किया। यह कार्यक्रम ‘बाल दिवस’ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।
सभी कक्षाओं के लिए स्कूलों को खोला जाए
कार्यक्रम में 10 बाल पत्रकारों ने हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री के समक्ष अपने सपनों, आकांक्षा एवं चुनौतियों को साझा किया। इन बाल पत्रकारों ने वैश्विक कोरोना महामारी के दौरान बच्चों में हुई समस्या और चुनौतियों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। विशेष रूप से महामारी के कारण उनकी शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ा है, इससे मुख्यमंत्री को अवगत कराया। किस प्रकार महामारी के दौरान गरीब, जरूरतमंद बच्चों के पास स्मार्टफोन, पीसी आदि की अनुपलब्धता के कारण ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने में चुनौतियां आदि के संबंध में मुख्यमंत्री से अपनी बातें साझा की। बाल पत्रकारों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करते हुए सभी कक्षाओं के लिए स्कूलों को खोला जाए, ताकि सभी बच्चे पारंपरिक रूप से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें। स्कूल के आनंदित माहौल में पढ़ाई कर सकें।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था में सुधार प्राथमिकता
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी बाल पत्रकार शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण एवं बाल अधिकारों के संबंध में सकारात्मक संदेश का प्रचार-प्रसार कर समाज में एक उदाहरण स्थापित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार बच्चों की समस्याओं एवं चिंताओं पर निरंतर नजर रखी हुई है। विशेषकर झारखंड के बच्चों में शिक्षा को लेकर, जो महामारी के कारण बाधित हुई है, उसकी भरपाई कैसे हो इस निमित्त राज्य सरकार सरकार काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार स्कूलों में सभी बच्चों को सुरक्षित एवं सकारात्मक वातावरण में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी उपाय कर रही है। राज्य सरकार स्कूलों के संचालन के लिए संक्रमण की स्थिति पर नजर रखते हुए चरणबद्ध तरीके से विद्यालयों में पठन-पाठन प्रारंभ करने का प्रयास कर रही है।
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए कोशिश जारी
मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया कि निकट भविष्य में प्राथमिक विद्यालय भी फिर से शुरू होंगे। स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षक एवं छात्र अनुपात के बीच के अंतराल को भरने की लगातार कोशिश की जा रही है। राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर 680 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया गया है, जो कि इसी दिशा में एक मजबूत पहल है। झारखंड प्रदेश में सभी बच्चों को समान अवसर मिले और उनका विकास हो, यह राज्य सरकार की प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर चीज के दो पहलू होते हैं। महामारी के दिनों में बच्चों को घरों से ही ऑनलाइन क्लास करनी पड़ी है। ऑनलाइन क्लास अच्छा भी है तो उसके नकारात्मक परिणाम भी हैं। अब हमारे जीवन के कई महत्वपूर्ण कार्य अब ऑनलाइन हो रहे हैं, इसमें शिक्षा भी शामिल है।
हालात के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमसभी को निश्चित रूप से यह पता है कि वैश्विक महामारी के दौरान बच्चों की पढ़ाई कितना प्रभावित हुआ है, साथ ही साथ बच्चों को पारिवारिक समस्याओं तथा कई अन्य मानसिक तनाव से भी गुजरना पड़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश और दुनिया में ऐसे तो कई महामारी आ चुकी है, परंतु कोरोना संक्रमण एक ऐसा महामारी है जिसने हर वर्ग अमीर,गरीब किसान, मजदूर सभी को प्रभावित किया है। इस महामारी ने मनुष्य के जीवन चक्र को ही अस्त-व्यस्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि अभी भी समस्या टला नहीं है चुनौती सामने खड़ी है। यही कारण है कि अब हमें जीवन को संभालने के लिए रास्ता निकालना पड़ रहा है। राज्य सरकार लगातार स्थिति को सामान्य करने का कार्य कर रही है, स्थिति सामान्य हो भी रही है और हम आगे बढ़ भी रहे हैं। मुख्यमंत्री ने यूनिसेफ एवं नव भारत जागृति केंद्र के प्रतिनिधियों को इस कार्यक्रम के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमसभी को जीवन में हमेशा यह बात अब याद रखनी होगी की समस्याएं कभी भी आ सकती हैं। आपदाएं बताकर नहीं आएंगी बल्कि किसी भी क्षण अचानक आ सकती हैं। उस समय हम सभी को साथ मिलकर हालात को देखते हुए आगे बढ़ना होगा।
अंधविश्वासी परंपराओं का इलाज सिर्फ शिक्षा
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में अंधविश्वासी परंपराएं भी निहित हैं। बाल विवाह, डायन-बिसाइन,ओझा-गुणी सहित कई अंधविश्वासी परंपराएं अभी भी समाज में हैं। ऐसे अंधविश्वासी परंपराओं का इलाज सिर्फ शिक्षा ही है। जैसे-जैसे ज्यादा से ज्यादा लोग शिक्षित होंगे,ये समस्याएं अपने आप खत्म होंगी। बाल पत्रकारों के साथ बातचीत कर मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपके द्वारा साझा किए गए अनुभव और बातों को ध्यान में रखते हुए जो कमियां होंगी, उसे दूर करने का प्रयास राज्य सरकार हर संभव करेगी। मौके पर सभी बाल पत्रकारों ने स्वयं तैयार किया गया ग्रीटिंग कार्ड्स मुख्यमंत्री को भेंट की। मुख्यमंत्री ने सभी बाल पत्रकारों को कलम भेंट कर सम्मानित किया तथा उन्हें अपनी शुभकामनाएं दीं।
मौके पर ये भी थे मौजूद
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के वरीय आप्त सचिव सुनील श्रीवास्तव, यूनिसेफ के झारखंड प्रमुख प्रसांता दाश, कम्युनिकेशन ऑफिसर सुश्री आस्था अलंग, नव भारत जागृति केंद्र रांची की सीनियर प्रोग्राम मैनेजर श्रीमती सुष्मिता भट्टाचार्य, बाल पत्रकार सुश्री सुरुचि कुमारी पांडे, सुश्री अनुप्रिया कुमारी, विक्रम सोलंकी, हिमांशु कुमार सिंह, सुश्री चांदनी कुमारी, जय गोविंद बेदिया, सुश्री अवंतिका कुमारी सहित अन्य उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री से बाल पत्रकारों ने किये कई प्रश्न
प्रश्न : बड़े बुजुर्गों को कोरोना का टीका लग चुका है, बच्चों को कब लगेगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी वायरस का टीका बनने में वक्त लगता है। कोरोना महामारी का टीका देश एवं दुनिया के वैज्ञानिकों ने जल्द बनाने का कार्य कर दिखाया है। उम्मीद करता हूं कि निकट भविष्य में बच्चों के लिए भी कोविड-19 का टीका वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक बच्चों के टीकाकरण कार्य नहीं हो पा रहे हैं, तब तक जागरूक एवं बचाव ही कोरोना संक्रमण से बचने का कारगर और सफल उपाय है।
प्रश्न : राजकीय मध्य विद्यालय बीआईटी मेसरा का छत पक्का नहीं है, क्या राज्य सरकार इस विद्यालय के छत को पक्का करने का कार्य करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत जल्द राजकीय मध्य विद्यालय बीआईटी मेसरा का छत का पक्काकरण कार्य किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि झारखंड के वैसे सभी विद्यालय जहां के भवन क्षतिग्रस्त हो अथवा पक्का न हो, वैसे विद्यालयों का जीर्णोद्धार तथा पक्काकरण कार्य जल्द किया जाएगा।
प्रश्न : स्कूलों में ऑनलाइन सुविधा पर्याप्त नहीं है। क्या आने वाले समय में अध्ययनरत छात्रों के लिए ऑनलाइन सुविधा मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत ही अहम सवाल है। आपदाओं ने हमसभी को बहुत कुछ सिखाया है। शिक्षा के साथ-साथ और कई ऐसी चीजें हैं जो आपदा में प्रभावित हुई हैं। स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को शिक्षण कार्य में बाधा अथवा रुकावट उत्पन्न न हो इस निमित्त राज्य सरकार तत्परता से कार्य कर रही है। आने वाले समय में इन समस्याओं का निराकरण सरकार अवश्य करेगी।