माइक्रो-वाटरशेड प्रोजेक्ट के प्रति समुदाय को संवेदनशील बना रहा है टाटा स्टील

झारखंड
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  • वेस्ट बोकारो डिवीजन ने दुरुकसमार गांव में कार्यक्रम की शुरुआत की

रामगढ़। जल संरक्षण और जल का कुशल उपयोग समय की मांग है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए टाटा स्टील वेस्ट बोकारो ने अपनी सीएसआर शाखा टाटा स्टील फाउंडेशन के माध्यम से दुरुकसमार गांव में एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम की शुरुआत की।

एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन एक ऐसा अप्रोच है, जो प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और परिरक्षण में स्थानीय समुदाय को सहभागी बनाता है। इससे ना केवल क्षेत्र की मिट्टी और जल का संरक्षण होता है, बल्कि समुदाय की समग्र आजीविका को बेहतर बनाने में भी मदद मिलती है। प्रोजेक्ट के लिए खनन के दो परिधीय गांवों को चिन्हित किया गया था। जल स्तर में सुधार की संभावनाओं का पता लगाया गया, ताकि क्षेत्र में कृषि आधारित आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देने में मदद मिले।

दुरुकसमार के बेरवा टोला निवासी 34 वर्षीय संझुल टुडू ने बताया, ‘जल संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है। भूजल को फिर से भरने के लिए समय पर संवेदीकरण स्थायी भविष्य के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है। माइक्रो-वाटरशेड प्रबंधन पहल के माध्यम से हमें मिट्टी और जल संरक्षण के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए हम टाटा स्टील फाउंडेशन के आभारी हैं।‘

‘एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन’ के सिद्धांतों का पालन करते हुए इस प्रोजेक्ट को एक पायलट के रूप में चुटुआ नाला (लगभग 100-हेक्टेयर मिनी वाटरशेड) के एक छोटे-से जलग्रहण क्षेत्र में लागू किया गया है। परिणाम के आधार पर इस प्रोजेक्ट को सूक्ष्म जलग्रहण क्षेत्रों (100-1000 हेक्टेयर के बीच) में विस्तारित किया जायेगा।

प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र के खेतों में मौजूदा नमी संरक्षण को बढ़ाना, भूभाग अत्यधिक लहरदार होने के कारण अतिरिक्त जल अपवाह और मिट्टी के कटाव को नियंत्रित करना या रोकना है। बेकार बह जाने वाले पानी का प्रबंधन और कृषि क्षेत्रों की सिंचाई के लिए इसका उपयोग करना, जल-कुशल प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना और स्थायी आजीविका के अवसरों का निर्माण करना है।