पूर्वांचल बन रहा हरी सब्जियों के निर्यात का हब

उत्तर प्रदेश कृषि देश
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  • लंदन और खाड़ी देशों को भेजी जा रही सब्जियां
  • कोरोना काल में ब्रिटेन गई थी पूर्वांचल की मिर्च

वाराणसी (उत्तर प्रदेश)। सूबे के पूर्वांचल की हरी सब्जियों ने एक बार फिर खाड़ी देशों की ओर उड़ान भरना शुरू कर दिया  है। दुबई और शारजाह के शेख पूर्वांचल की पौष्टिक सब्जियों का स्वाद चख रहे हैं। बाबतपुर स्थित लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान हरी सब्जियों को पहुंचा चुका है। दो मीट्रिक टन के कार्गो में  परवल, भिंडी, नेनुआ, कुंदरू व सूरन आदि सब्जियां हैं।

वर्ष, 2020 में भी लंदन, दुबई, दोहा, कतर जैसे कई देशों में  हरी मिर्च, बनारसी लंगड़ा आम, काला चावल निर्यात हो चुका है। बिचौलियों को बीच से हटा कर किसान खाद्य पदार्थों का अब सीधा निर्यात कर रहा है। इससे उन्‍हें अधिक मुनाफा मिल रहा है। योगी सरकार ने पूर्वांचल के किसानों के लिए एक्सपोर्ट को आसान बना दिया है। किसानों के समूह फार्मर प्रोडूसर आर्गेनाइजेशन (FPO) के माध्यम से किसान बिना बिचौलियों के सीधे निर्यात कर रहे है।

सरकार बिचौलियों को बीच से हटा कर किसानों की मेहनत का पूरा पैसा उनको दिलाना चाहती है। इन उपक्रमों के माध्यम से सरकार किसानों की आय दोगनी करने में तेजी से सफल हो रही है। जिसमें खेती का आधुनिकीकरण, किसानों का प्रशिक्षण, अच्छे बीज व खाद की समय से उपलब्धता, दैवीय आपदा में समय से उचित मुआवजा आदि सरकारी सहायताएं शामिल हैं।

एपीडा के क्षेत्रीय प्रभारी डॉ सीबी सिंह ने बताया कि वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से इस सीजन का पहली बार पूर्वांचल के जिलों वाराणसी, प्रयागराज, भदोही से दो मीट्रिक टन हरी सब्जियां यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) के दुबई और शारजाह के लिए रवाना भेजा गया है। इसमें भिंडी, नेनुआ, परवल, कुंदरु और सूरन शामिल थे। ये सब्जियां भदोही के फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन के माध्यम से निर्यात की गई। इससे करीब 15 से 20 किसान जुड़े हैं। पूर्वांचल में करीब 35 से 40 एफपीओ सक्रिय हैं। इससे करीब 35 से 40 हजार किसान जुड़ कर अपनी आय बढ़ा रहे हैं।

क्षेत्रीय प्रभारी एपीडा ने बताया कि वाराणसी को एग्री एक्सपोर्ट सेंटर बनाने का सिलसिला पहले से चल रहा था। इसे धरातल पर 1 नवंबर, 2019 को उतरा। वाराणसी से दिल्ली और फिर लंदन के लिए  23 अप्रैल, 2020 तक 3 मीट्रिक टन ताजी  हरी मिर्च जा चुकी है। मई, 2020 में दुबई के लिए तीन मीट्रिक टन फ्रेश लंगड़ा आम एक्सपोर्ट हुआ था। आम के लिए नया बाजार लंदन मिला। वहां जून, 2020 तक 1.2 मीट्रिक टन आम एक्सपोर्ट हुआ था। धान का कटोरा कहे वाले जिला चंदौली से एपीडा के प्रयास से एक्सपोर्टर ने जून, 2020 में  80 मीट्रिक टन काला चावल का धान लिया। उत्पादों के निर्यात से प्राप्त 68 लाख रुपये सीधे 152 किसानों के खाते में पंहुचा था। इसके साथ ही, दिसंबर में ही चंदौली का क्षेत्रीय चावल दोहा कतर के लिए 520 मीट्रिक टन एक्सपोर्ट किया गया था। इसमें 12 मीट्रिक टन चंदौली का काला चावल सहित 532 मीट्रिक टन चावल कतर निर्यात हुआ था।

ओमान के ग्लोबल लोजिस्टिक्स ग्रुप ने भी वाराणसी का दौरा  किया था। जिससे एक्सपोर्ट को बढ़ावा दिया जा सके। किसानों  और एफपीओ को अधिक आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए  एफपीओ को जुलाई, 2020 से एक्सपोर्ट का लाइसेंस भी दिया जाने लगा है। इसके कारण किसानों की मेहनत की फसल का सही दाम मिलने के साथ निर्यात बढ़ने के आय में वृद्धि भी हुई है।