दिल्ली। दिल्ली के एक निजी अस्पताल में हाल ही में एक 70 साल के व्यक्ति को वक्ष (ब्रेस्ट) कैंसर होने का पता चला है। पुरुषों में वक्ष कैंसर के बढ़ते मामले इस बात को नकार रहे हैं कि यह बीमारी केवल महिलाओं तक ही सीमित है। हालांकि, यह पुरुषों में दुर्लभ घटना है, जो दुनिया भर में इलाज किए गए सभी कैंसर के एक प्रतिशत से भी कम है। प
टपड़गंज स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी की वरिष्ठ निदेशक डॉ. मीनू वालिया ने कहा कि मरीज का इस साल सितंबर में चिकित्सकीय पद्धति से वक्ष निकाल दिया गया था और अभी उसकी कीमोथेरेपी चल रही है। मरीज पर इलाज का असर हो रहा है और उसकी हालत स्थिर है। वर्तमान में उसकी कीमोथेरेपी चल रही है।
डॉक्टर ने कहा कि मरीज पर इलाज का असर हो रहा है और उसकी हालत स्थिर है। उन्होंने कहा कि पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर दुर्लभ है, लेकिन एक आक्रामक कैंसर है। अगर इस बीमारी का समय रहते पता चल जाए तो इलाज करना आसान हो जाता है। ब्रेस्ट कैंसर होने का जोखिम लगभग 833 पुरुषों में से 1 में होता है। देरी से इलाज में एक प्रमुख कारक जागरूकता की कमी है, जबकि कई महिलाएं जानती हैं कि ब्रेस्ट कैंसर का संकेत देने वाले परिवर्तनों को कैसे देखना है, पुरुषों में कम जागरूकता है, जिसका अर्थ है कि प्रारंभिक अवस्था में उनकी मदद लेने की संभावना कम हो सकती है।
हालांकि पुरुषों में छोटी गांठों का पता लगाना आसान हो जाता है, लेकिन इसका मतलब यह भी है कि ब्रेस्ट में कैंसर के बढ़ने की गुंजाइश कम होती है। नतीजतन, यह जल्दी से आस-पास के ऊतकों / अंगों में फैल सकता है।