विकार पर विजय पा लेने से स्‍वर्ण की प्राप्ति हो जाती है : स्‍वामी व्‍यासानंद

झारखंड धर्म/अध्यात्म
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रांची। संतमत सत्संग समिति के संस्थापक स्वामी व्यासानंद महाराज महर्षि मेंही विद्यापीठ, हरिद्वार से रांची आये हैं। उन्‍होंने प्रवचन के दौरान श्रद्धालुओं से कहा कि हमारे 10 विकार दुखों का कारण हैं। इसपर विजय मिल गई तो समझो दुनिया में स्वर्ग की प्राप्ति हो गई। किसी भी इंद्रियों से अगर कोई चाहत नहीं है तो उसे पूर्ण संतोष कहते हैं। जैसे कान को सुनना नहीं, जीभ को स्वाद नहीं।

स्‍वामी व्‍यासानंद ने कहा कि मन रूपी गाड़ी हम लोगों को चला रही है या हम उसे चला रहे हैं। अगर हम उसे चला रहे हैं तो आपके जीवन में आपको सातों सुख प्राप्त है। अगर स्थिति इसके उलट है तो यह दुखों का कारण है। युद्ध में किसी की हार या जीत निश्चित होती है। ठीक उसी प्रकार संत अपने मन रूपी दानव से युद्ध करके अगर मन पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। इसके बाद वे संत कहलाते हैं। अगर सच्चे संत आपको मिल जाते हैं तो आपका जीवन स्वर्ग हो जाता है

इसलिए जो संत का संग करते हैं, वह संग कभी नहीं छूटता। जो लोग साथ करते हैं, साथ छूट जाता है। इसलिए संत का संग करना चाहिए। इस प्रवचन में झारखंड के विभिन्‍न इलाकों से श्रद्धालु आये हुए हैं।