सरायकेला-खरसावां। झारखंड में बनी तसर सिल्क साड़ियां देश-विदेश में धूम मनाने को तैयार है। इन साड़ियों को देश के साथ ही विदेशों में भी भेजने की तैयारी है। ट्राइफेड भी इसकी ब्रांडिंग के लिए प्रयास कर रहा है।
झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत खादी बोर्ड के चांडिल स्थित उत्पादन और प्रशिक्षण केंद्र ने पहली बार तसर साड़ियों का निर्माण शुरू किया है। ये साड़ियां क्वालिटी में काफी अच्छी मानी जा रही हैं। जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा भी यहां के तैयार उत्पादों और कुचाई सिल्क को ब्रांड बनाने में लगातार रुचि दिखा रहे हैं। इसके लिए ट्राइफेड को निर्देशित किया है।
इन साड़ियों को नमूनों के तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास भी भेजा गया था, जो उन्हें काफी पसंद आयी। इसके बाद साड़ी उत्पादन का काम बड़े पैमाने पर शुरू हुआ। अब काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। चांडिल प्रशिक्षण एवं उत्पादन केंद्र के प्रभारी सुनील कहते हैं कि बुनकरों को एक साड़ी बनाने में करीब तीन दिन का समय लग रहा है।
सरायकेला-खरसावां के कुचाई का तसर क्वालिटी में सबसे बेहतर माना जाता है। यही कारण है कि इसकी काफी डिमांड है। अब देश के साथ ही विदेशों में यहां की साड़ियों को भेजने की तैयारी है। इससे केंद्र के कारीगरों के हौसले बुलंद हैं।
चांडिल में साड़ियों के उत्पादन के लिए महिलाओं को भी प्रशिक्षण दिया गया है। ये महिलाएं कोरोना काल में भी घर से काम कर रहीं थीं। खादी बोर्ड अब आमदा और कुचाई के प्रशिक्षण और उत्पादन केंद्रों में भी साड़ियों के उत्पादन पर फोकस कर रहा है। इससे राज्य के बुनकरों को रोजगार और झारखंड में बनी साड़ियों को बाजार मिलेगा।