- टाटा स्टील के आरएंडडी डिपार्टमेंट की हासिल की कई उपलब्धि
जमशेदपुर। कोलकाता का प्रसिद्ध हावड़ा ब्रिज। साल 1936 में हावड़ा ब्रिज का निर्माण शुरू हुआ और 1942 में यह पूरा हो गया। उसके बाद 3 फरवरी, 1943 को इसे जनता के लिए खोल दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक इस ब्रिज को बनाने में 26,500 टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें 23,500 टन स्टील की सप्लाई टाटा स्टील ने की थी। इसे बनाने में अलॉय स्ट्रक्चरल स्टील ‘टिस्क्रोम’ का उपयोग किया गया था। ‘टिस्क्रोम’ की खोज किसने की थी, इसकी जानकारी कम लोगों को है।
टाटा स्टील के ‘रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट’ (आरएंडडी) डिपार्टमेंट ने इसकी खोज की थी। इसके शुरुआती उत्पादों में से एक लो अलॉय स्ट्रक्चरल स्टील ’टिस्क्रोम’ है। इसका इस्तेमाल कोलकाता में प्रसिद्ध हावड़ा ब्रिज के निर्माण के लिए किया गया था। टाटा स्टील ने मालवाहक कारों, जहाजों, ट्रामों और अन्य वाहनों में इस्तेमाल होने वाला एक उच्च शक्ति का स्ट्रक्चरल स्टील ’टिस्कोर’ भी विकसित किया।
’टाटानगर’ बख्तरबंद (आर्मर्ड) कार का उत्पादन इसकी एक और उपलब्धि थी, जिसमें एलॉय स्टील और सिलिकॉन की विशेष गुणवत्ता वाली चादरें और बुलेट-प्रूफ कवच प्लेटें लगी हुई थीं। यह बख्तरबंद कार पहली और एकमात्र भारतीय निर्मित कार है, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अफ्रीका के पश्चिमी रेगिस्तान में धुरी शक्तियों से लड़ाई की थी।
बतातें चलें कि टाटा स्टील के ‘रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट’ (आरएंडडी) डिपार्टमेंट की स्थापना 14 सितंबर, 1937 को हुई थी। इसके भवन का उद्घाटन टाटा स्टील के तत्कालीन चेयरमैन सर नौरोजी सकलतवाला ने किया था। यह भारत में किसी प्रतिष्ठान का पहला अपना ‘आर एंड डी’ डिवीजन था। इस डिवीजन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य लागत को कम करना और कंपनी के उत्पादन में वृद्धि करना था।
‘आर एंड डी’ भवन को दक्षता, लचीलापन और सुविधा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया था। काम का एक सीधा प्रवाह प्रदान करने के लिए कमरे अच्छी तरह से तैयार किए गए थे। ये चौड़े गलियारों से जुड़े हुए थे। रखरखाव में आसानी के लिए और दीवारों को पाइपिंग और केबलिंग से मुक्त रखने के लिए गैस, पानी, बिजली और वैक्यूम सहित सभी सुविधाओं की आपूर्ति फर्श के नीचे से गुजरने वाले एक डक्ट के माध्यम से की गई थी। अर्गोनॉमिक्स, लाइटिंग और वेंटिलेशन के मामले में सुरक्षित और स्वस्थ कामकाजी माहौल सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया गया था।
टेबल और बेंच को तकनीशियनों की सुविधा के अनुसार और अनावश्यक मूवमेंट से बचने के लिए डिजाइन किया गया था। ‘फ्यूम एक्सट्रेक्शन’ सिस्टम विशेष रूप से डिजाइन किए गए हुड के साथ स्थापित किए गए थे। रासायनिक प्रयोगशालाओं में धुएं के कारण होने वाले जंग से बचने के लिए स्विचबोर्ड्स को गलियारों में लगाया गया था। एसिड के छींटे या इसी तरह की घटनाओं के मामले में सुरक्षा के लिए कई आपातकालीन शावर भी लगाए गए थे।
नये कंट्रोल एंड रिसर्च लैबोरेटोरी का उद्देश्य
1. चयन या जांच के उद्देश्य से विश्लेषणात्मक और रासायनिक समस्याओं वाले कच्चे माल को नियंत्रित करना।
2. स्टील प्लांट के अंदर किए जा रहे सभी मेटलर्जिकल परिचालनों का अध्ययन, निरीक्षण और पर्यवेक्षण करना।
3. विशेष लोहा और स्टील के गुण-धर्मों की जांच करना।
4. रिफ्रैक्ट्री की सामग्रियों और जंग की समस्याओं का विश्लेषण करना।
5. नये स्टील और सभी प्रकार के नये उत्पादों का विकास करना।
6. ईंधन प्रयोगशाला।