रांची। मैनेज हैदराबाद और रांची आत्मा के संयुक्त तत्वाधान में कृषि उपादान विक्रेता के लिए देसी पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसकी समीक्षा 19 सितंबर को रांची जिला कृषि पदाधिकारी (डीएओ) विकास कुमार ने की। देसी पाठ्यक्रम के तहत कृषि उपादान विक्रेताओं का 48 सप्ताह का पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है। प्रत्येक सप्ताह कृषि विशेषज्ञों द्वारा क्लास लिया जाता है। अबतक 22 क्लास लिए जा चुके हैं।
इस क्रम में रविवार को जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा अबतक पढ़ाये गये विषय से संबंधित जानकारी उपस्थित कृषि विक्रेता से ली गयी। विषय से संबंधित प्रश्न पूछे। इसमें मिट्टी जांच के लिए मिट्टी नमूना लेने की विधि, फसलों में लगने वाली बीमारी, कीट, खाद और बीज से संबंधित प्रश्न पूछे। विक्रेताओं द्वारा इसका जवाब दिया गया।
विक्रेताओं से टपक सिंचाई से संबंधित प्रश्न भी पूछे गए। साथ ही, उन्हें बताया कि कैसे टपक सिंचाई बिरसा किसानों के लिए लाभदायक है। कार्यक्रम में PMKSY योजना से संबंधित और कृषि में फसल चक्र के महत्व पर विस्तृत जानकारी दी गयी।
जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि देसी कार्यक्रम से मिल रहे ज्ञान को बिरसा किसानों तक पहुंचाना ही इस कार्यक्रम का लक्ष्य है। कृषि उपादान विक्रेता जानकारी के आभाव में किसानों को समुचित जानकारी नहीं दे पाते हैं। ऐसे में किसानों को बीज, उर्वरक एवं कीटनाशी के प्रयोग में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
कृषि उपादान विक्रेताओं के लिए संचालित देसी पाठ्यक्रम का उद्देश्य उन्हें प्रशिक्षित करते हुए किसानों को बीज, उर्वरक एवं कीटनाशी का उपयोग संतुलित रूप से कराना है। मौके पर कृषि विशेषज्ञों द्वारा बताई जा रही नवीनतम जानकारी को बिरसा किसानों तक पहुंचाने का निर्देश सभी को दिया गया। कार्यक्रम में प्रदीप कुमार सरकार, देसी फेसीलेटर, साकेत कुमार सहित 36 कृषि उपादान विक्रता उपस्थित थे।