- जीएसटी काउंसिल की बैठक में फैसला
उत्तर प्रदेश। कोराना में छूट की अवधि तीन महीने बढ़ा दी गई है। कई दवाओं में जीएसटी की दर घटा दी गई है। यह निर्णय 17 सितंबर को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में लिया गया। मौके पर पेट्रोलियम पदार्थों को भी जीएसटी के दायरे में लाने पर चर्चा हुई। हालांकि इस पर निर्णय नहीं हो सका। कई सदस्यों ने इसे जीएसटी के दायरे में लाने से मना कर दिया।
काउंसिल की बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि कोरोना से संबंधित दवाओं पर जीएसटी दरों में पहले छूट दी गई थी। यह 30 सितंबर तक लागू थी। अब इस छूट को 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ाया गया है। जीएसटी दरों में ये छूट सिर्फ दवाओं में दी जाएगी। पहले जो लिस्ट जारी की गई थी, उसमें कई तरह के दूसरे उपकरण भी शामिल थे।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि एम्फोटेरिसिन-बी और टोसीलिज़ुमैब पर जीएसटी नहीं लगेगा। रेमडेसिविर और हेपरिन पर 5% जीएसटी लगेगा। ये छूट 31 दिसंबर, 2021 तक जारी रहेगी।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि कैंसर संबंधी ड्रग्स जैसे कीट्रूडा पर जीएसटी की दर 12% से घटाकर 5% की गई है। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए अधिक इस्तेमाल होने वाली कुछ जीवन रक्षक दवाएं बहुत महंगी है। ये कोरोना से संबंधित नहीं हैं। ऐसी ड्रग्स को जीएसटी से छूट दी गई है। इसपर अब जीएसटी नहीं लगेगा। जोलगेन्स्मा और विल्टेप्सो ऐसी ही 2 महत्वपूर्ण दवाएं हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के मुद्दे पर कोर्ट के निर्देश के चलते चर्चा हुई। कई सदस्यों ने साफ तौर पर कहा कि वे नहीं चाहेंगे कि इसे जीएसटी के दायरे में लाया जाए।
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केरल उच्च न्यायालय की तरफ से पेट्रोल-डीजल पर विचार करने का सुझाव था, इसलिए चर्चा हुई। हालांकि सभी का मानना था कि इसमें और बहुत से आयाम हैं। सभी आयामों को देखकर ही अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। इसलिए इसपर निर्णय नहीं हुआ।