‘रणभेरी’ सीजन-2 में जीवंत होंगे युगपुरुष बाबूराव विष्णु पराड़कर

मनोरंजन
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अनिल बेदाग

मुबंई। कमलाश्री फिल्म्स  प्रा लि के बैनर तले दूरदर्शन के लिए निर्मित्त हो रहे धारावाहिक ‘सोया देश जगाएगी रणभेरी’ यानी ‘रणभेरी’ सीजन-2 की सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। इस बार धारावाहिक का शीर्षक ‘सोया देश जगाएगी रणभेरी’ होगा। इसे बाबूराव विष्णु पराड़कर के जीवन और उनके आंदोलनों को केंद्रित किया जायेगा।      

धारावाहिक में युवा पराड़कर की भूमिका इस बार मराठी फिल्मों के अभिनेता रणजीत कावले निभाएंगे। शूटिंग पूर्व पराड़कर के ऐतिहासिक योगदान को समझने के लिए काशी और कोलकाता भी गए थे, जहां उन्होंने उनके जीवन से जुड़ी बारीकियों को भी समझा। उनके परिवार से भी मिले। पराड़कर से जुड़ी पुस्तकों और उनके पत्रकारिता को पिछले 2 वर्षों से गहन अध्ययन कर रहे हैं।

ज्ञातव्य हो कि बाबूराव विष्णु पराड़कर हिन्दी के जाने-माने पत्रकार, साहित्यकार एवं हिन्दी सेवी थे। उन्होने हिन्दी दैनिक ‘आज’ का सम्पादन किया। भारत की आजादी के आंदोलन में अखबार को बाबूराव विष्णु पराड़कर ने दोधारी तलवार की तरह उपयोग किया। उनकी पत्रकारिता ही क्रांतिकारिता थी। उनके युग में पत्रकारिता एक मिशन हुआ करता था। एक जेब में पिस्तौल और दूसरी में गुप्त पत्र ‘रणभेरी’ और हाथों में ‘आज’, ‘संसार’ एवं ‘कमला’ जैसे समाचार पत्रों को संवारने और जुझारू तेवर देने वाले लेखनी के धनी पराड़कर ने जेल जाने से लेकर अखबार की बंदी, अर्थदंड जैसे दमन की परवाह किये बगैर पत्रकारिता का वरण किया।

मुफलिसी में सारा जीवन न्यौछावर करने वाले पराड़कर ने आजादी के बाद भी देश की आर्थिक गुलामी के खि‍लाफ धारदार लेखनी चलाना जारी रखा। मराठी भाषी होते हुए भी हिन्‍दी के इस सेवक की जीवनयात्रा अविस्मरणीय हैं। श्री, सर्वश्री, राष्ट्रपति, नौकरशाही, संघटन, सविंधान, संसद, वायुमंडल, मुद्रास्फीति, लोकतंत्र, सुराज्य, वातावरण,  कार्रवाई और अन्तरराष्ट्रीय आदि सैकड़ों शब्दों को हिंदी भाषा से जोड़ा। इन्हें  प्रचलन में लाकर समृद्ध भी किया।

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निर्माता का कहना है कि इनके जीवन संघर्ष को धारावाहिक ‘सोया देश जगाएगी ‘रणभेरी’ में प्रस्तुत करने का अथक प्रयास  होगा। धारावाहिक के प्रसारण के लिए दूरदर्शन को आवेदन प्रस्तुत किया जा चुका है। अनुमति मिलते ही निर्माण शुरू कर दिया जाएगा, जिसकी सारी तैयारियां पहले से ही पूरी कर ली गई है। निर्माता के अनुसार इस बार धारावाहिक की गाथा सन 1903 से बंग-भंग जैसे मुद्दों से शुरू किया जायेगा। धारावाहिक में काशी के सांस्कृतिक महत्व और काशी के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ पराड़कर ने किस प्रकार आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है, सभी पहलुओं को दर्शाया जायेगा, ताकि देश की युवा पीढ़ी को अनगिनत कुर्बानियो के बदले मिली आजादी का मूल्यांकन कराया जा सके।

राष्ट्र रत्न बाबू शिवप्रसाद गुप्त, पंडित मदन मोहन मालवीय, पंडित कमलापति त्रिपाठी, लाल बहादुर शास्त्री, संपूर्णांनन्द, रामेश्वर प्रसाद चौरसिया, दुर्गा प्रसाद खत्री, मन्मथनाथ गुप्त और शचीन्द्रनाथ सान्याल… एक लंबी फेहरिस्त है। बनारस के उन नामों की, जो राष्ट्रीय आंदोलन को दिशा भी देते रहे और ‘रणभेरी’ जैसी प्रतीक संघर्षों का गुरिल्ला संचालन भी करते रहे। ‘रणभेरी’ की प्रतियां दूध की बाल्टी, सब्जी की टोकरी और पान की गिलौरियों के बीच तश्तरियों में छिपाकर बांटी जाती थीं। अंग्रेज पुलिस इस बात के लिए हलकान रहती थी कि‍ कब और कहां से प्रकट हो जाती है शब्दों के जरिये मार करने वाली ‘रणभेरी’।