नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अगस्त को महोबा, उत्तर प्रदेश में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एलपीजी कनेक्शन सौंपकर उज्ज्वला 2.0 (प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना- पीएमयूवाई) का शुभारंभ किया। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने उज्ज्वला के लाभार्थियों से बातचीत भी की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उज्ज्वला योजना से जिन लोगों का जीवन रोशन हुआ है, उनकी संख्या अभूतपूर्व है। इनमें बड़ी संख्या महिलाओं की हैं। यह योजना, 2016 में यूपी के बलिया, स्वतंत्रता संग्राम के प्रणेता मंगल पांडे की भूमि से शुरू की गई थी। उन्होंने कहा कि आज उज्ज्वला का दूसरा संस्करण भी यूपी की वीरभूमि-महोबा से शुरू किया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बहनों के स्वास्थ्य, सुविधा और सशक्तिकरण के इस संकल्प को उज्ज्वला योजना ने बहुत बड़ा बल दिया है। योजना के पहले चरण में 8 करोड़ गरीब, दलित, वंचित, पिछड़े, आदिवासी परिवारों की बहनों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया गया। उन्होंने कहा कि इस मुफ्त गैस कनेक्शन का कितना लाभ हुआ है, ये हमने कोरोना काल में देखा है। उज्ज्वला योजना से एलपीजी गैस के बुनियादी ढांचे का कई गुना विस्तार सुनिश्चित हुआ है। पिछले 6-7 वर्षों के दौरान 11 हजार से भी अधिक एलपीजी वितरण केंद्र खोले गए हैं। उत्तर प्रदेश में इन केंद्रों की संख्या वर्ष 2014 के 2 हजार से बढ़कर 4 हजार हो गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम शत-प्रतिशत गैस कवरेज के बहुत करीब हैं क्योंकि वर्ष 2014 में कुल जितने गैस कनेक्शन थे उससे कहीं अधिक गैस कनेक्शन पिछले 7 वर्षों के दौरान दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड सहित पूरे उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से कई लोग काम के लिए गांव से शहर या दूसरे राज्यों में चले गए। वहां उन्हें निवास प्रमाण-पत्र की समस्या का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि उज्ज्वला 2.0 योजना ऐसे ही लाखों परिवारों को सबसे अधिक राहत पहुंचाएगी। उन्होंने कहा कि अब अन्य जगहों से आए इन मजदूरों को निवास प्रमाण-पत्र के लिए दर-दर भटकने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को प्रवासी मजदूरों की ईमानदारी पर पूरा भरोसा है। गैस कनेक्शन प्राप्त करने के लिए आपको सिर्फ अपने पते के बारे में खुद लिखकर देना होगा।
मोदी ने यह भी कहा कि पाइप के माध्यम से बड़े पैमाने पर गैस उपलब्ध कराने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि पीएनजी, सिलेंडर की तुलना में काफी सस्ती होती है और उत्तर प्रदेश समेत पूर्वी भारत के कई जिलों में पीएनजी मुहैया कराने का काम तेजी से चल रहा है। पहले चरण में उत्तर प्रदेश के 50 से अधिक जिलों में 12 लाख घरों को इससे जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि हम लक्ष्य के बहुत करीब हैं।
जैव ईंधन के लाभों के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि जैव ईंधन एक स्वच्छ ईंधन मात्र नहीं है, बल्कि यह ईंधन में आत्मनिर्भरता के इंजन को, देश के विकास के इंजन को और गांव के विकास के इंजन को गति देने का भी एक माध्यम है। उन्होंने कहा कि जैव ईंधन एक ऐसी ऊर्जा है जिसे हम घर और खेत के कचरे से, पौधों से, खराब सड़े हुए अनाज से प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि हम बीते 6-7 सालों में हम 10 प्रतिशत ब्लेंडिंग के लक्ष्य के बहुत निकट पहुंच चुके हैं। आने वाले 4-5 साल में हम 20 प्रतिशत ब्लेंडिंग के लक्ष्य को हासिल करने की तरफ बढ़ रहे हैं। पिछले साल उत्तर प्रदेश में 7 हज़ार करोड़ रुपए मूल्य का इथेनॉल खरीदा गया है। राज्य में इथेनॉल और जैव ईंधन से जुड़ी कई इकाइयां स्थापित की गईं हैं।
उत्तर प्रदेश के 70 जिलों में गन्ने के अवशेष से कम्प्रेस्ड बायोगैस बनाने के लिए सीबीजी प्लांट की इकाई स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। ‘पराली’ से जैव ईंधन बनाने के लिए बदायूं और गोरखपुर में प्लांट लगाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब देश बुनियादी सुविधाओं की पूर्ति से बेहतर जीवन के सपने को पूरा करने की ओर बढ़ रहा है। आने वाले 25 वर्षों में इस सामर्थ्य को हमें कई गुना बढ़ाना है। एक सक्षम भारत के इस संकल्प को हमें मिलकर सिद्ध करना है। इसमें बहनों की विशेष भूमिका होने वाली है।