मुंबई। टाटा स्टील ने गुरुवार को अपना 115वां स्थापना दिवस मनाया। 114 साल पहले इसी दिन जब भारत में स्वदेशी आंदोलन अपने चरम पर था, तब देश के औद्योगिकीय पटल पर टाटा स्टील का जन्म हुआ। 26 अगस्त, 1907 औद्योगिक भारत की उत्पत्ति का प्रतीक है, क्योंकि इस दिन टाटा आयरन ऐंड स्टील कंपनी के पंजीकृत होने के साथ उद्यमिता के एक युग का प्रारंभ हुआ था।
भारत को एक स्टील-निर्माता राष्ट्र बनाने की यात्रा और इसकी आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार देने की दूरदृष्टि इसके संस्थापक जे एन टाटा की ही थी। सर दोराबजी टाटा के पथप्रदर्शक प्रयासों ने इसे जीवंत किया था। कंपनी के लिए तीन सप्ताह के भीतर 2,31,75,000 रुपये की मूल पूंजी जुटाई गई और 1912 तक भारत एक स्टील-निर्माता देश बन चुका था।
अपनी स्थापना के बाद से टाटा स्टील ने एक लंबा सफर तय किया है। युद्ध, महामारियों व व्यापार चक्रों के उतार-चढ़ाव और प्रवाह का सफलतापूर्वक सामना किया है, जिसने इसके संकल्प और लचीलेपन को केवल मजबूत ही किया है। कंपनी संरचनात्मक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से फ्यूचर-रेडी होने के लिए कदम उठा रही है। आज, जबकि भारत आर्थिक ’आत्मनिर्भरता’ की दिशा में दृढ़ आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है, कंपनी भी इसके साथ कदमताल मिलाते हुए अपनी अंतर्निहित विकास यात्रा पर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है।