अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन ने 33,000 ग्रामीण महिलाओं को बनाया और सशक्त

देश बिज़नेस मुंबई
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मुंबई। अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड की कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) शाखा अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन (एसीएफ) ने ग्रामीण भारत में अब तक 33,000 महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस तरह समुदायों में महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिरता को सुरक्षित किया है। यह उपलब्धि महिलाओं को अपने समुदायों में नेतृत्व की स्थिति लेने के लिए सशक्त बनाने, स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने और महिला संघों के गठन में सहायता देने के माध्यम से हासिल की गई है।

एसीएफ का मानना है कि महिलाओं में समाज में बड़े बदलाव लाने और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की क्षमता है। ग्रामीण भारत में, महिलाओं को उत्पादक रोजगार, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बेहतर कामकाजी परिस्थितियों की आवश्यकता होती है, और इसलिए प्रत्येक गांव में जहां एसीएफ के कार्यक्रम संचालित होते हैं, यह महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में भाग लेने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से उनके आत्मविश्वास का निर्माण करता है। साथ ही, फाउंडेशन कौशल संबंधी फासले को दूर करने के अवसर उपलब्ध कराते हुए उनकी सहायता करता है। ये स्वयं सहायता समूह दरअसल महिला सशक्तिकरण की दिशा में पहला कदम है और इनके सहारे महिलाएं अपना संघ और सहकारी समितियां बनाने और अपने परिवार और समुदाय के भीतर नेतृत्व की स्थिति हासिल करने में सक्षम होती हैं।

इसी सिलसिले में कोडिनार में सोरथ महिला मंडल का विशेष रूप से जिक्र किया जा सकता है, जो एसएचजी को बढ़ावा देने में नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है, जिसमें अब तक कुल 8069 महिलाएं एसएचजी में लगी हुई हैं। जबकि चंद्रपुर में एकता महिला महासंघ गांवों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाने और समुदायों के भीतर परिवर्तन लाने की दिशा में अग्रणी है।

एसीएफ हजारों महिलाओं के जीवन को बदलने की दिशा में काम करता है और सभी कार्यक्रमों में समावेश और लैंगिक संतुलन को बढ़ावा देता है, क्योंकि वे एसीएफ के प्रमुख हितधारकों में से एक हैं। एसीएफ के हस्तक्षेप के कारण, महिलाएं आज निर्णय निर्माता हैं – किसान उत्पादक संगठनों, जल समितियों, गांवों में स्वच्छता अभियान चला रही हैं और कौशल और उद्यमिता प्रशिक्षण संस्थानों (एसईडीआई) में पुरुष प्रधान पाठ्यक्रमों में नामांकन करके रूढ़ियों को तोड़ रही हैं।

कौशल और उद्यमिता प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से एसीएफ का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को रोजगार खोजने, करियर बनाने और अपने स्थानीय या पड़ोसी समुदायों में व्यवसाय विकसित करने के लिए कौशल के साथ प्रशिक्षित करना है। एसीएफ का प्राथमिक फोकस ऐसी युवा महिलाओं को व्यावसायिक कौशल के साथ प्रशिक्षण देना है, जो उद्योग की सेवा कर सकती हैं। आज कौशल और उद्यमिता प्रशिक्षण संस्थानों में  40 प्रतिशत महिलाएं स्नातक हैं और उन्हें इलेक्ट्रीशियन प्रशिक्षण और वेल्डिंग जैसे ट्रेडों में सफलतापूर्वक रखा गया है, जो पूरे उद्योग में लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ने की दिशा में किसी चमत्कार से कम नहीं है।

अंबुजा सीमेंट लिमिटेड के एमडी और सीईओ नीरज अखौरी ने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन के महिलाओं को सशक्त बनाने के लगातार प्रयासों ने ग्रामीण समुदायों में एक महत्वपूर्ण छाप छोड़ी है। ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनने, स्वास्थ्य कर्मियों के रूप में, नेतृत्व के पदों पर, इत्यादि के रूप में परिवर्तन को देखना, महिलाओं को आवश्यक प्रशिक्षण और समर्थन के साथ सशक्त बनाने के हमारे संकल्प को ही मजबूत बनाता है। एसीएफ के माध्यम से, हम समुदायों में महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक कल्याण में योगदान देना जारी रखेंगे।’’

अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन के डायरेक्टर और सीईओ पर्ल तिवारी ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि वास्तव में महिलाएं ही अपने परिवारों को गरीबी से ऊपर उठा सकती हैं और सही मंच प्रदान किए जाने पर हजारों दूसरी महिलाओं के जीवन में भी सुधार ला सकती हैं। ये समुदाय आधारित स्वयं सहायता समूह और संघ जो हम बनाते हैं न केवल बचत और वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं बल्कि अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने और उसे दूर करने के अवसर भी पैदा करते हैं। हमारे महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं को अपने लिए आय सृजन के अवसरों को सुरक्षित करने और अंततः समुदाय में सामाजिक पहचान हासिल करने के महत्वपूर्ण अवसर हासिल होते हैं।’’

अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन महिलाओं को उनके अपने गांवों में नेतृत्व की स्थिति मंे लाने के लिए सशक्त  बनाने की दिशा में भी काम करता है। पंचायती राज संस्थाओं के हिस्से के रूप में 117 सशक्त महिलाएँ हैं जो अपने गाँवों में बदलाव ला रही हैं और नए परिवर्तनों को संभव बना रही हैं। चंद्रपुर के हरदोना गाँव की चंदा ताई को ही लीजिए, जो एक एसएचजी सदस्य से एकता महिला संघ के सचिव तक पहुंची और फिर उन्होंने सरपंच पद हासिल किया और आज वे 30 गांवों की महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं। उन्होंने 57 लाख रुपए के बीज और खाद व्यवसाय के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाया। एक अग्रणी बैंक के साथ साझेदारी में ओडीएफ गांव बनाकर स्वच्छता से निपटने में मदद की और अपने गांव को एक स्मार्ट गांव बनाने के लिए काम किया।

2020 में एसीएफ ने 382 अतिरिक्त एसएचजी पंजीकृत किए, इस प्रकार कुल मिलाकर 2601 एसएचजी और 5 महासंघों को विभिन्न स्थानों पर समर्थन दिया। औपचारिक संस्थान बनाकर, ये महिलाएं एक पारस्परिक सहायता प्रणाली बनाने, सामान्य लक्ष्यों को हासिल करने और सामाजिक परिवर्तन की दिशा में अग्रणी बनने में सक्षम हुई हैं।