रांची। सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी चल बसे। जमानत याचिका पर फैसला आने से पहले ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कर दिया। उनकी तबियत खराब थी। रविवार से वह वेंटिलेटर पर थे।
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में एक वर्ष पूर्व रांची के नामकुम से उन्हें गिरफ्तार किया गया था। यह दुर्लभ संयोग है कि 5 जुलाई, 21 को ही उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई भी थी। 84 वर्षीय स्टेन स्वामी ने मुम्बई के भद्र अस्पताल में अंतिम सांसे ली।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी जमानत पर जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एमजे जमादार की बेंच सुनवाई कर रही थी। स्टेन स्वामी ने अपनी उम्र और बीमारी का हवाला देकर जमानत की गुहार लगायी थी। सुनवाई के दौरान ही दिन के 2.30 बजे वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने अदालत को जानकारी दी कि उनकी मौत हो चुकी है।
झारखंड समेत देश के हजारों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने उनके रिहाई के लिए कई बार आवाज उठाया था। आदिवासियों के बीच उनके द्वारा किये गये कार्यों को हमेशा याद किया जायेगा। माकपा के राज्य सचिवमंडल ने सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है।