नई दिल्ली। सरकार ने देश में मॉनसून पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का पूर्वानुमान लगाने के लिए एक स्वदेशी जलवायु मॉडल विकसित किया है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी। राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में उन्होंने कहा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र (सीसीसीआर), भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) ने एक अत्याधुनिक पृथ्वी प्रणाली मॉडल (ईएसएम) विकसित किया गया है।
मॉडल का विकास आईआईटीएम पुणे के वैज्ञानिकों ने अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान समुदाय के सहयोग से किया। यह मॉडल एक अत्याधुनिक जलवायु मॉडल है, जिसमें वायुमंडल के घटक, गहरे समुद्र के प्रवाह सहित महासागर, आर्कटिक और अंटार्टिक की समुद्री-बर्फ और महासागरों की बायोजियोकैमिस्ट्री शामिल है।
इस पृथ्वी प्रणाली मॉडल को आईआईटीएम-ईएसएम के रूप में जाना जाता है। यह दक्षिण एशिया का पहला जलवायु मॉडल है, जिसने जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट (एआर6) में योगदान दिया है। कपल्ड मॉडल इंटर-कंपेरिजन प्रोजेक्ट- छठा चरण (सीएमआईपी6) प्रयोग में भाग लिया है। आईआईटीएम-ईएसएम में जलवायु परिवर्तन के विज्ञान से संबंधित प्रमुख सवालों को हल करने की क्षमता है। इसमें वैश्विक और क्षेत्रीय जलवायु, भारतीय मानसून, जलीय चक्र, समुद्र-स्तर में परिवर्तन, बदलती जलवायु में उष्णकटिबंधीय महासागर-वायुमंडल प्रक्रिया के विश्वसनीय अनुमान शामिल हैं।