सब्जी की खेती से कमा रहे सालाना 2 लाख रुपये, किया ये उपाय

कृषि झारखंड
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जमशेदपुर। सब्जी की खेती कर सालाना 2 लाख रुपये की आमदनी प्रगतिशील किसान इंद्रजीत किस्कु कर रहे हैं। वे झारखंड के जमशेदपुर जिले के गोलमुरी सह जुगसलाई प्रखंड की दलदली पंचायत के ईटामारा गांव के रहने वाले हैं। पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने खेती को ही अपने जीविकोपार्जन का साधन बनाया।

किस्कु लगभग 3 एकड़ जमीन में खीरा, टमाटर, नेनुवा, मिर्च, फ्रेंचबीन, आदि की उन्नत तकनीक से खेती कर रहे हैं। उन्होने अपने गांव के ही 3-4 लोगों को रोजगार भी दिया है। वह बताते हैं कि उनकी सब्जी उत्पाद को बेहतर मार्केट मिले, इसको लेकर जिला मुख्यालय और आसपास के प्रखंड के बाजारों पर भी नजर रखते हैं। इसके कारण उन्हें अच्छी आमदनी होती है।

वह कहते हैं कि उन्नत तरीके से खेती करने एवं पेशेवर तरीके से उत्पादों के लिए बाजार ढूंढ सकें तो बढ़िया आमदनी हो सकती है। वह अपना उत्पाद घाटशिला, गालूडीह, साकची और जिला मुख्यालय में लगने वाले अन्य बाजारों में बेचकर आय प्राप्त करते हैं।

सब्जी की उन्नत तरीके से खेती के अलावा प्रगतिशील किसान इंद्रजीत ने लगभग 2 एकड़ में धान एवं 1 एकड़ में सरसों की खेती कर इस वर्ष अच्छा मुनाफा कमाया। आत्मा द्वारा संचालित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन योजना के तहत सरसों का बीज उन्हें निःशुल्क मिला। वह कृषि विभाग से विगत 4 वर्षों से जुड़े हैं।

जिला कृषि विभाग-आत्मा द्वारा उन्हें प्रगतिशील कृषक के रूप में चिन्हित किया गया है। वह अपने गांव और पंचायत के अन्य किसानों को भी कृषि विभाग द्वारा चलाए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम, परिभ्रमण, किसान गोष्ठी, फसल प्रत्यक्षण एवं किसान मेला आदि में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं।

इंद्रजीत के परिवार में 8 सदस्य है। भरण-पोषण के साथ बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है। वह बताते हैं कि घर में खपत के लिए धान, सरसों आदि की खेती के अलावा उन्नत तरीके से सब्जी की खेती से इन्हें सालाना 2 लाख रुपये से अधिक की आमदनी हो जाती है। इससे परिवार का भरण-पोषण अच्छे तरीका से हो रहा है। पारिवारिक स्थिति पहले की अपेक्षा काफी बेहतर हुई है।

इंद्रजीत कहते हैं कि दूसरे प्रदेश में रोजगार ढूंढने जाने से बेहतर है कि अपने गांव-घर में ही मौजूद खेती-किसानी की जाए। इससे दूसरों पर निर्भरता खत्म होगी। आत्मसम्मान का जीवन जिया जा सकता है। खेती-किसानी में असीम संभावनायें हैं। जरूरत रूचि दिखाने की है। कृषि विभाग के पदाधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा समय-समय पर उपलब्ध कराई जाने वाली जानकारी को ध्यान से सुनें। समझें एवं उसका इस्तेमाल खेती-किसानी कार्य में करें तो ये आर्थिक रूप से सशक्त होने में मददगार साबित होगा।