झोपड़ी जली तो रहने के लिए मनरेगा योजना से डीसी ने बनवा दिया शेड

झारखंड सरोकार
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  • अस्तित्व संकट से जूझ रहे आदिम जनजाति परिवार के प्रति उपायुक्त हुए गंभीर

लातेहार। अस्तित्व के संकट से जूझ रहे आदिम जनजाति परिवारों की समस्या की निराकरण के प्रति उपायुक्त अबु इमरान गंभीर हैं। ऐसा कामता पंचायत के ग्राम चटुआग के परहैया टोला में देखने को मिला। वृद्ध दुखन परहैया अपनी वृद्ध पत्नी संग लकड़ी और बांस की झोपड़ी बनाकर दशकों से रहते थे।

जानकारी के मुताबिक वन क्षेत्र में लगी आग के कारण उसकी झोपड़ी जलकर खाक हो गयी। इस अगलगी में उसकी वृद्ध बीमार पत्नी जलने से बच गई थी। हालांकि उसका आधार कार्ड और वृद्धा पेंशन पासबुक जलकर राख हो गये थे। वह टोकरी और सूप बनाकर जीवन यापन करते हैं।

लकड़ी और बांस से बनी झोपड़ी आग की भेंट चढ़ जाने से दुखन का परिवार खुले आसमान में पेड़ के नीचे रहने पर विवश हो गया था। सूचना मिलते ही सामाजिक कार्यकर्ता सह माकपा नेता अयुब खान ने गांव जाकर दुखन परहैया से मुलाकात की। जानकारी हासिल कर मामले से उपायुक्त अबु इमरान को अवगत कराया। उनसे इस परिवार को रहने के लिए आवास और अन्य मदद करने की अपील की थी।

डीसी ने इस मामले पर तत्काल संज्ञान लेते हुए उसे पड़ोस के घर रहने के लिए शिफ्ट करा दिया था। उसके रहने के लिए तत्काल शेड बनाने के निर्देश बीडीओ को दिया। प्रखंड विकास पदाधिकारी ने पंचायत सेवक मुकेश भगत से शेड बनवा दिया। यह बनकर तैयार है। वे इसमें रह रहे हैं। उपायुक्त के हस्तक्षेप से दशकों बाद विलुप्त हो रही और अस्तित्व संकट से जूझ रहे दुखन परहैया को रहने के लिए छत मिला।

दशको बाद रहने के लिए छत मिलने से वह काफी खुश है। इसके लिए दसवा परहिया, सनिका मुंडा, बि‍नोद परहैया, रंगवा परहैया, बिफैया परहैया, सुलेंन्द्र परहैया, बुधराम बारला, बोने मुंडा, रतिया नगेसिया, राजकुमार परहैया ने उपायुक्त को साधुवाद दिया।