सत्ता में आते ही स्थानीयता पर वायदाखिलाफी कर रही हेमंत सरकार

झारखंड
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  • जय झारखंड के वर्चुअल सम्मेलन में कई प्रस्‍ताव पारित

रांची। झारखंड में स्थानीयता पुनर्भाषित कराने के लिए नेतृत्वकर्ताओं का एक दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन 31 जुलाई को वर्चुअल माध्यम से हुआ। जय झारखंड (झारखंड अगेंस्ट इनजस्टिस) की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में राज्यभर के विभिन्न संगठन के नेतृत्वकर्ताओं ने अपना पक्ष रखा। स्थानीयता को परिभाषित किया। इस बात पर सहमति जताई कि राज्य गठन के 21वें वर्ष में भी राज्यवासियों की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं शैक्षणिक स्थिति में कोई व्यापक बदलाव नहीं आया है।

नेतृत्‍वकर्ताओं ने कहा कि इसका सबसे बड़ा कारण स्थानीय नीति को सही ढंग से परिभाषित नहीं करना है। जो नीति सरकार ने बनाई है, उसका ज्यादा लाभ बाहरियों को मिल रहा है। स्थानीय वर्तमान में भी इन बाहरियों की पिछलग्गू बनकर रह गई है। इन्हें ना तो आरक्षण का पूरा लाभ मिल पा रहा है और ना ही नियुक्तियों में इन्हें आबादी एवं योग्यता के अनुसार स्थान प्राप्त हो रहा है। नतीजा इस राज्य के स्थानीय पिछड़ कर रह गए हैं। इस व्यवस्था को हमें मिलकर बदलना होगा।

नेतृत्‍वकर्ताओं ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों को अपने घोषणा पत्र के अनुसार किये वादे को पूरा करना होगा। सत्ता में आने से पूर्व ये दल हमसे हमारे हित में वादे करते हैं और सत्ता में आने के बाद वादाखिलाफी करते हैं। वर्तमान हेमंत सरकार भी यही कर रही है। इस सरकार को दो वर्ष हो गए। बावजूद अब तक स्थानीय नीति परिभाषित करने में सरकार विफल रही है। इससे राज्यवासियों के सर्वांगीण विकास पर व्यापक असर पड़ रहा है।

वर्चुअल सम्मेलन में सुनील महतो, डॉ मुजफ्फर हुसैन, डॉ सुनील प्रामाणिक, विमल अरविंद, संतोष महतो, पंकज सिन्हा, देवाशीष महतो, धनंजय स्वर्णकार, विशाल सिन्हा, विद्याधर प्रसाद, उमेश महतो, काजल सोनी, प्रणव सिंह, डॉ रोहित तुरी, शिवेंद्र सिन्हा, इमाम सफी, देवेंद्र महतो, रामवृक्ष, सुरेंद्र पासवान, प्रो अरविंद साहू.समेत कई गणमान्य ने अपना पक्ष रखा।

वर्चुअल सम्मेलन में इन प्रस्ताव पर लगी मुहर

1) स्थानीय नीति परिभाषित समिति का गठन।

2) मूलवासी आयोग का गठन।

3) सभी संगठन “जय झारखंड” के बैनर तले एक मंच पर आकर संघर्ष करेंगे।

4) ग्रामीण स्तर तक संगठन की मजबूती।

5) प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय नीति को लेकर विधायक से प्रश्न पूछना।

6) संगठन के केंद्रीय समिति सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलकर स्थानीय नीति का ज्ञापन सौंपे।

7) सभी 81 विधायकों को भी स्थानीय नीति संबंधी ज्ञापन सौंपना। 8) राज्य के कोने कोने तक स्थानीय नीति को लेकर जनजागरण एवं जागरुकता फैलाना।