अरिमर्दन सिंह ने कहा-आजादी के आंदोलन में ‌स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत

झारखंड
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रांची। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पीआईबी-आरओबी रांची, एफओबी दुमका और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में स्वाधीनता सेनानी एवं क्रांतिकारी कवि राम प्रसाद बिस्मिल जयंती स्मरणोत्सव पर वेबिनार का आयोजन किया गया। यह वेबिनार स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने तक आयोजित किए जाने वाले आजादी के अमृत महोत्सव समारोहों की कड़ी का एक हिस्सा था।

वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए पीआईबी-आरओबी रांची के अपर महानिदेशक अरिमर्दन सिंह ने कहा कि आजादी के मतवालों की कुर्बानियां हमें यह सीख देती हैं कि लक्ष्य कितना भी कठिन हो, पर हमें सदा संघर्षरत रहना है। अनवरत संघर्ष एक दिन अच्छा परिणाम लेकर आता है।

श्री सिंह ने कहा कि आज हम छोटे से कष्ट सहने के लिए भी तैयार नहीं हैं, लेकिन आजादी के दीवाने कठिन से कठिन सजा और परिश्रम स्वीकार करने के लिए सदैव तैयार रहते थे। आजादी का लक्ष्य था कि समाज में सबको बराबरी मिले।

हमें अधिकार, तो संविधान से मिला, लेकिन दायित्व हमें निभाना, जिसे हम सत्य-निष्ठा और इमानदारी के साथ करें तभी आजादी का वास्तविक मतलब सिद्ध होगा। इससे पूर्व वेबिनार के आरंभ में क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी गौरव पुष्कर ने आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के पीछे केंद्र सरकार के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।

परिचर्चा के मुख्य अतिथि एवं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राकेश पांडे ने आजादी की संघर्ष गाथा पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि अंग्रेजों को तकनीकी बढ़त प्राप्त थी और वे भारतीयों को दूसरे दर्जे के नागरिक बनाने के लिए तत्पर थे, लेकिन राम प्रसाद बिस्मिल जैसे युवा क्रांतिकारी स्वाधीनता सेनानियों ने अंग्रेजों के नाक में दम कर रखा था।

शाहजहांपुर के एक छोटे से गांव में पैदा हुए राम प्रसाद बिस्मिल से भारतीयों की पीड़ा देखी नहीं गई और कुछ साथियों के साथ मिलकर उन लोगों ने अंग्रेजों से लोहा लेने का निश्चय किया और वे इसमें सफल भी हुए।

वेबिनार का समन्वय एवं संचालन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी शाहिद रहमान ने किया। वेबिनार में विशेषज्ञों के अलावा शोधार्थी, छात्र, पीआईबी, आरओबी, एफओबी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के अधिकारी-कर्मचारियों तथा दूसरे राज्यों के अधिकारी-कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया।