पटना। लोक जनशक्ति पार्टी से बगावत करने वाले चिराग पासवान के चाचा सह सांसद पशुपति कुमार पारस (को सर्वसम्मति से लोकसभा में पार्टी संसदीय दल का नेता चुन लिया गया है। इसका निर्णय लोजपा बागी सांसदों की बैठक में लिया गया और फिर उसे मूर्तरूप दिया गया। बगावत के बाद लोजपा के बागी पांचों सांसद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से भी मिले।
इससे पहले पशुपति कुमार पारस ने कहा कि हमारी पार्टी में छह सांसद हैं। पांच सांसदों की इच्छा थी कि पार्टी का अस्तित्व खत्म हो रहा है, इसलिए पार्टी को बचाया जाए। मैंने पार्टी को तोड़ा नहीं, बल्कि बचाया है। उन्होंने कहा कि चिराग पासवान से कोई शिकायत और कोई आपत्ति नहीं है, वे पार्टी मेें रहें। उन्होंने कहा पार्टी के 99 फीसदी कार्यकर्ता, सांसद, विधायक और समर्थक सभी की इच्छा थी कि हम 2014 में एनडीए गठबंधन का हिस्सा बनें और इस बार के विधानसभा चुनाव में भी हिस्सा बने रहें, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
इस वजह से हमने ये कदम उठाया है। इस बीच लोजपा सांसद महबूब अली कैसर और वीणा देवी पशुपति के पक्ष में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चिराग पासवान संवाद कायम नहीं करते हैं। लोजपा जैसी थी वैसी ही है और आगे वैसे ही काम करती रहेगी। इससे पहले लोकजनशक्ति पार्टी में विवाद के बीच ऑफर का दौर शुरू हो गया है। एक तरफ जहां विरोधी दल आरजेडी चिराग पासवान को ऑफर दे रही है, वहीं खुद चिराग पासवान पार्टी और परिवार में अपनी इज्जत बनाए रखने के लिए चाचा पशुपति कुमार पारस के सामने नया प्रस्ताव लेकर उनके आवास पर पहुंचे थे। आधे घंटे के बाद चिराग के लिए दरवाजा खुला, तो उन्होंने खुद इस्तीफा देने और मां रीना पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का प्रस्ताव चाचा के समक्ष रखा।