मकई और मड़ुआ की उन्नत किस्मों की खेती को बढ़ावा देगा बीएयू

कृषि झारखंड
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  • कुलपति ने किसानों को किसानों को बांटे उन्नत बीज

रांची। चालू खरीफ मौसम में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय मकई और मड़ुआ की उन्नत किस्मों की खेती को बढ़ावा देगा। इस बाबत कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह और निदेशक अनुसंधान डॉ ए वदूद ने वैज्ञानिक दल के साथ रांची जिले के चान्हो प्रखंड का सोमवार को दौरा किया। मौके पर कुलपति ने करीब 75 किसानों को मकई की दो संकर किस्मों एवं एक कंपोजिट किस्मों और करीब 66 किसानों को मड़ुआ की उन्नत किस्मों के बीज बांटे।

इस अवसर पर किसानों से कुलपति ने कहा कि प्रदेश में विभिन्न खरीफ फसलों की बुवाई के लिए 30 जून तक उपयुक्त समय है। मकई बहु उपयोगी फसल है। इसकी सालों भर खेती कर किसान अच्छी आय ले सकते हैं। प्राचीन काल से ही प्रदेश में मड़ुआ (रागी) की खेती की जाती है। विगत 6-7 वर्षो में प्रदेश में इसकी खेती का रकबा घटा है। कोरोनाकाल में मड़ुआ का देश-विदेश में सुपर फ़ूड के रूप में काफी मांग बढ़ी है।

निदेशक अनुसंधान डॉ ए वदूद ने बताया कि आईसीएआर की दो अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (एआईसीआरपी) मकई और मड़ुआ के ट्राइबल सब प्लान कार्यक्रम के अधीन प्रखंड के विभिन्न गांवों में अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण माध्यम से उन्नत किस्मों की खेती को बढ़ावा दिया जायेगा।

एआईसीआरपी (मकई) परियोजना अंवेषक डॉ (श्रीमती) मणिगोपा चक्रवर्ती ने कहा कि 250 से अधिक किसानों के बीच मकई के उन्नत किस्मों की खेती को बढ़ावा देने की योजना है। किसानों को मकई की आधुनिक पैकेज प्रणाली के बारे में बताया।

एआईसीआरपी (मकई) परियोजना अन्वेंशक डॉ अरुण कुमार ने बताया कि मड़ुआ की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को मड़ुआ की दो प्रजाति बीबीएम -10 और ए 404 के बीज दिये गये है। सूखा रोधी एवं न्यूट्री सीरियल्स फसल के रूप में मड़ुआ की खेती को किसानों के बीच प्रोत्साहित किया जा रहा है। मौके पर डॉ कुमार ने किसानों को मड़ुआ वैज्ञानिक तकनीक से खेती के बारे में बताया।