कतर से 40 मीट्रिक टन ऑक्सीजन लेकर महाराष्ट्र पहुंचा युद्धपोत त्रिकंद

देश मुंबई
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मुंबई। वैश्विक महामारी कोरोना के विरुद्ध जारी युद्ध में भारतीय नौसेना भी अहम भूमिका निभा रही है। वायुसेना के साथ नौसेना भी समुद्र सेतु -2 के तहत इस लड़ाई में डटी हुई है। भारतीय नौसेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए विदेशों से ऑक्सीजन और मेडिकल उपकरण लाने में पूरी ताकत झोंक दी है। सोमवार को नौसेना के युद्धपोत त्रिकंद के माध्यम से कतर के हमाद पोर्ट से 40 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन मुंबई बंदरगाह पर लाई गई। 

महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे, फ्रांसीसी वाणिज्य दूतावास की महावाणिज्य दूत सोनिया बार्बेरी और भारतीय नौसेना के अन्य आला अधिकारियों की उपस्थिति में लिक्विड ऑक्सीजन की यह खेप महाराष्ट्र सरकार को सुपुर्द की गई। महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण ऑक्सीजन की बड़े पैमाने पर मांग बढ़ गई है। मरीजों को ऑक्सीजन देने के लिए अन्य राज्यों से ऑक्सीजन लाई जा रही है। विदेश से महाराष्ट्र के लिए भारतीय नौसेना के ऑपरेशन समुद्र सेतु -2 के तहत कतर से लाई गई यह पहली राहत सामग्री है। 

ऑपरेशन समुद्र सेतु -2 में नेवी के नौ युद्धपोत लगे हुए हैं। पर्शियन गल्फ और साउथ ईस्ट एशिया के मित्र देशों से समुद्र मार्ग से ऑक्सीजन और अन्य जरूरी मेडिकल संसाधन समुद्री मार्ग से लाए जा रहे हैं। भारतीय नौसेना का आईएनएस तलवार बीते दिनों 27 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन का दो टैंक लेकर कर्नाटक के न्यू मंगलौर बंदरगाह में दाखिल हुआ था। आईएनएस कोलकाता कुवैत से 27 टन लिक्विड ऑक्सीजन और अन्य मेडिकल उपकरण लेकर जल्द भारत में दाखिल होनेवाला है। आईएनएस ऐरावत सहित अन्य जहाजों में तैनात नौसैनिक कोरोना के खिलाफ जंग में डटे हुए हैं। 

भारतीय नौसेना का आईएनएस त्रिकंद युद्धपोत ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सीय उपकरण लेने 5 मई को कतर में दाखिल हुआ था। वैश्विक कोरोना महामारी के खिलाफ जारी जंग में यह खेप फ्रांसीसी मिशन “ऑक्सीजन सॉलिडैरिटी ब्रिज” का हिस्सा है। यह कतर से भारत के लिए फ्रेंच एयर लिक्विड कंटेनरों के परिवहन की पहली यात्रा थी। कतर में भारत के राजदूत डॉ. दीपक मित्तल की पहल से यह ऑक्सीजन की खेप लाई गई है। अगले दो महीनों में भारत में करीब 600 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन समुद्री मार्ग से लाई जाएगी।