कृषि से हो रही आय तो इन बातों का रखें ख्‍याल

विचार / फीचर
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रवि शंकर शर्मा

पिछले कई वर्षों से कृषि क्षेत्र के साथ बरते जाने वाली उदारता पर बहस हो रही है। जिन लोगों की कमाई कृषि से हो रही है, उन्हें भारतीय टैक्स कानूनों के मुताबिक छूट मिलती है। हाल ही में नीति आयोग के सदस्य विवेक देबरॉय ने यह कहकर विवाद पैदा कर दिया कि एक निश्चित सीमा से परे कृषि से होने होने वाली आय पर टैक्स लगना चाहिए। इनकम टैक्स (आई-टी) एक्ट, 1961 के सेक्शन 10 (1) के मुताबिक कृषि से होने वाली आय पर भारत में टैक्स नहीं लगता।

क्या होती है कृषि आय?

सिर्फ कृषि उत्पाद मूल्य ही नहीं, जिसे कृषि आय के रूप में परिभाषित किया गया है, बल्कि शब्दों की परिभाषा काफी व्यापक है। कानून के सेक्शन 2 (1ए) में बताया गया है कि कृषि आय है क्या। सेक्शन के मुताबिक निम्नलिखित को कृषि आय माना जाएगा।

भारत में स्थित भूमि से हासिल हुआ कोई भी किराया या राजस्व, जिसे कृषि से जुड़े कामों के लिए इस्तेमाल किया जाता हो।

कृषि भूमि से मिलने वाला किराया या राजस्व और फसल बेचने से होने वाली आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। लेकिन फायदों का दावा तभी किया जा सकता है, जब भूमि पर कृषि से संबंधित काम हो रहे हों। इस मामले में किसानों को भूमि के मालिक होने का सबूत देना होगा।

कृषि उत्पादन या कृषि भूमि के प्रसंस्करण सहित जमीन से होने वाली कोई भी आय, जिससे वह बाजार के मुताबिक बन सके या उत्पादों की बिक्री हो सके।

कृषि संचालन का मतलब भूमि पर फसल उगाने के दौरान किए जाने वाले प्रयास और उसे बिक्री के अनुरूप बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदम हैं। जहां तक कृषि संचालन की बात है तो किसान को टैक्स छूट का दावा करने के लिए जमीन का मालिक होने की जरूरत नहीं है।

धारा 2(1ए) में दी गई कुछ शर्तों को पूरा करने के लिए किसी फार्महाउस से होने वाली आय।

इसके काल्पनिक वार्षिक मूल्य के आधार पर एक संपत्ति मालिक को उस प्रॉपर्टी पर टैक्स होना होगा, जिस पर उसका मालिकाना हक है। चाहे वह उसका इस्तेमाल रहने के लिए नहीं कर रहा हो। काल्पनिक लाभ घर संपत्ति से आय के रूप में लगाया जाता है। हालांकि किसानों को अपने उन फार्महाउस पर टैक्स नहीं देना पड़ता, जो कृषि भूमि के पास या जिनका इस्तेमाल स्टोरेज व आउटहाउस के तौर पर होता है। यहां तक कि अगर संपत्ति किसान के मौजूदा घर के तौर पर इस्तेमाल हो रही है तो भी उसे कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा।

नर्सरी में उगाए जाने वाले पौधे या रोपाई से होने वाली आय।

नर्सरी में उगाए जाने वाले पौधों या अन्य उत्पादों की ब्रिकी से जो आय हासिल होती है, उस पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगाया जाएगा।

इसका लाभ उठाने के लिए इन शर्तों को पूरा करना पड़ता है

कानून के मुताबिक सरकारी अधिकारियों को स्थानीय दर के आधार पर भू-राजस्व का मूल्यांकन करना चाहिए।

जहां राजस्व का आकलन नहीं किया जाता या स्थानीय दर के अधीन नहीं होता, वहां जमीन को नगरपालिका या कैंटनमेंट बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में स्थित नहीं होना चाहिए।

राजस्व में जमीन के ट्रांसफर से मिलने वाला फायदा शामिल नहीं होना चाहिए।

कृषि आय में क्या नहीं आता?

कृषि से जुड़े कुछ काम और उससे होने वाली कमाई कृषि आय के दायरे में नहीं आती। ये हैं:

यदि कोई किसान बिना खेती या प्रोसेसिंग ऑपरेशन के सामान बेचता है तो आय बिजनेस इनकम के तौर पर गिनी जाएगी।

कृषि उत्पादन की बिक्री क्षमता बढ़ाने के लिए एक सख्त प्रक्रिया का पालन किया जाता है तो उस उत्पाद की ब्रिकी से होने वाली इनकम को कृषि आय नहीं माना जाएगा। उदाहरण के तौर पर अगर आपके बाग में पैदा हुए आम से जैम बना लिया जाए तो उससे होने वाली आय को बिजनेस इनकम माना जाएगा।

मवेशियों की ब्रीडिंग : इसमें कृषि भूमि पर डेयरी जानवर, मछली पालन, मुर्गी पालन शामिल नहीं है।

अगर आप अपनी कृषि भूमि पर पेड़ उगाकर उन्हें बाद में टिम्बर के लिए बेच देते हैं तो उससे पैदा होने वाली इनकम को कृषि आय नहीं माना जाएगा। कानूनी पेच है कि पूरी प्रक्रिया में कहीं भी सक्रिय कृषि व्यवसाय नहीं हो रहा है।

जो लोग कृषि से अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं, उन्हें अपनी आय पर स्टैंडर्ड टैक्स देना पड़ता है।

अगर कुछ शर्तों को मान लिया जाए तो कृषि उत्पाद को निर्यात कर जो रकम हासिल होगी, उस पर इनकम टैक्स नहीं लगेगा।

 इन बातों का रखें ध्यान

 अगर कोई टैक्सपेयर गैर-कृषि आय कमा रहा है तो टैक्स की गणना करने के लिए जुड़वा आय को संयुक्त कर दिया जाएगा। इसी के अनुसार फायदे दिए जाएंगे। ध्यान दें कि टैक्स लायबिलिटी की कैलकुलेशन तभी की जाती है, जब टैक्सपेयर की गैर-कृषि आय बुनियादी छूट स्लैब से ज्यादा हो। जिनकी सालाना 2.5 लाख गैर-कृषि आय है, उन्हें भी छूट दी जाती है। हालांकि किसानों और भूमि मालिकों को अपनी खेती की आय बताने के लिए टैक्स रिटर्न भरना पड़ेगा।

(लेखक झारखंड के टैक्स कंसल्टेंसी फर्म के फाउंडर हैं)