राजकोट में आरटीपीसीआर टेस्ट में मिला फर्जीवाड़ा, मुख्यमंत्री ने दिए कार्रवाई के निर्देश

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राजकोट/अहमदाबाद। राजकोट में कोरोना का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार हरसंभव कोशिश कर रही  है। लेकिन कुछ स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर और कर्मी ही सरकार के प्रयासों को पलीता लगा रहे हैं। राजकोट में कोराेना टेस्ट के नाम पर डाक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों ने मिलकर पड्घरी तहेसिल के खोड़ापीपर गांव में आरटीपीसीआर टेस्ट में फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है। फर्जीवाड़ा होने की खबरों के बाद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कलेक्टर और डीडीओ से तुरंत रिपोर्ट देने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया है। 

बताया गया है कि परीक्षण की संख्या बढ़ने के लिए प्रशासन ने स्वास्थ्य केंद्र के साथ ही धन्वंतरि रथ को कोराेना टेस्ट करने का लक्ष्य दे रखा है। लेकिन डाक्टर व स्वास्थ्यकर्मी इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। स्वास्थ्यकर्मी बिना किसी का नमूना लिए फर्जी रूप से स्वाग काे ट्यूब में रखकर जांच के लिए भेज देते हैं। नमूनों पर नाम, पते फर्जी लिख कर फोन नंबर के रूप में किसी कर्मचारी का ही नाम लिख देते थे। अब तक 1300 ऐसे नमूने लैब में भेजे गये लेकिन एक भी मामला पॉजिटिव नहीं आया है।

इसकी शिकायत मिलने पर जिला प्रशासन ने चिकित्सा अधिकारियों की एक टीम को जांच के लिए पड्घरी तहेसिल के खोड़ापीपर गांव भेजा। अधिकारियाें ने चिकित्सक और लैब तकनीशियन को रंगे हाथ फर्जीवाड़ा करते पकड़ा। जांच करने गई टीम ने पाया कि चिकित्सक और कर्मी लोगों के स्वाब का नमूना लिए बिना ही टेस्ट ट्यूब को परीक्षण के लिए अस्पताल भेज रहे थे। खोड़ापीपर गांव में चिकित्सा अधिकारी डॉ. सागर डोबरिया, लैब टेक्नीशियन दिप्तीबेन खाखरिया और धनवंतरी रथ के प्रफुल्ल थुम्मर ने सीधे वीटीएम ट्यूब में फर्जी नमूने रख रखे थे। अधिकारियों को ऐसे 25 नमूने तैयार मिले जो अगले दिन भेजे जाने थे। इन नमूनाें के ऊपर लाभार्थियों के फर्जी नाम लिखे थे और मोबाइल नंबर कर्मचारियों के दर्ज थे। इसी बीच एक और जानकारी सामने आई कि 03 अप्रैल को खोड़ापीपर गांव से प्रभाबेन रंगानी नामक एक महिला सिविल अस्पताल में टीका लगवाने गई थी। तभी स्वास्थ्य कर्मियों ने उसका भी नमूना ले लिया था।

क्या होता है आरटीपीसीआर टेस्ट दरअसल, परीक्षण के लिए वीटीएम किट में ट्यूब आता है, जिसमें रासायनिक होता है। संभावित संक्रमित मरीज के नाक या गले से स्वाब का नमूना लेकर एक ट्यूब में रखा जाता है, फिर पैक कर जांच के लिए लैब भेजा जाता है।