नई दिल्ली। केंद्र सरकार की नई कबाड़ वाहन नीति के तहत फिटनेस टेस्ट की 40 बाधाएं पार करने के बाद ही पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ पाएंगे। सरकार ने ऑटोमैटिक फिटनेस सेंटर खोलने और उनके संचालन संबंधी दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। 15 साल पुराने व्यावसायिक व 20 साल पुराने निजी वाहनों के लिए पहली अक्तूबर 2021 से देश में नई व्यवस्था लागू हो जाएगी। इसमें उक्त सेंटरों से फिटनेस प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही पुराने वाहनों को चलाया जा सकेगा। अनिफिट होने पर उनको एंड आफ लाइफ (ईएलवी) यानि कबाड़ की श्रेणी में डाल दिया जाएगा।
सड़क परिवहन ने हितधारकों के सुझाव-आपत्ति के लिए 08 अप्रैल को ऑटोमैटिक फिटनेस सेंटरों की मान्यता, विनियमन और नियंत्रण संबंधित मसौदा अधिसूचना जारी कर दी है। इसके मुताबिक आगामी 01 अक्तूबर 2021 से फिटनेस सेंटरों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुराने वाहनों को उक्त सेंटरों से फिटनेस की कड़ी जांच प्रक्रिया पर खरा उतरने के बाद फिटनेस प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। इसके बाद ही वाहन सड़क पर चल सकेंगे।
उन्होंने बताया कि पुराने वाहनों को ब्रेक सिस्टम, स्टेयरिंग, हेडलाइट, सेसपेंशन, बैटरी, साइलेंसर, उत्सर्जक स्तर, हॉर्न, स्पीडोमीटर, स्पीड गवर्नर, टायर, इलेक्ट्रिकल वायरिंग, व्हीकल ट्रैकिंग डिवाइस आदि 43 प्रकार की जांच से गुजरना होगा। अधिकारी ने बताया कि उक्त मानक में से किसी एक भी फेल होने पर वाहन को अनफिट कर दिया जाएगा। हालांकि वाहन मालिक पुन: फिटनेस टेस्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। लेकिन वाहन को हर स्तर के टेस्ट को पास करना जरूरी होगा। अन्यथा उसे कबाड़ घोषित कर दिया जाएगा। आधुनिक मशीनों की मदद से टेस्ट की समूची प्रक्रिया ऑटोमैटिक सिस्टम में दर्ज होगी। जिससे मानवीय हस्तक्षेप के जरिए गड़बड़ी की संभावना पर विराम लगाया जा सके।
जांच रिपोर्ट केंद्रीकृत डाटा बेस में दर्ज होगी
ऑटोमैटिक फिटनेस सेंटर को सभी वाहनों की जांच की रिपोर्ट को सेंटर के केंद्रीकृत डाटा बेस में दर्ज करना होगा। इसके साथ ही सड़क परिवहन मंत्रालय के वाहन पोर्टल पर फेल-पास वाहनों की जानकरी अपलोड करनी होगी। इसके कारणों को भी बताना होगा। विदित हो कि वाहन पोर्टल पर सभी वाहनों की संपूर्ण जानकारी सरकार के पास है।
दो प्रकार के होंगे ऑटोमैटिक फिटनेस सेंटर
ऑटोमैटिक फिटनेस सेंटर दो प्रकार के होंगे। इसमें दो पहिया-तीन पहिया वाहनों के लिए 500 वर्गमीटर में सेंटर बनेंगे। जबकि कार, हल्के व भारी व्यवसायिक वाहनों के लिए सेंटरो का क्षेत्रफल 1500 वर्गमीटर होगा। यहां पर ऑटोमोबाइल, मकैनिकल इंजीनियर, एमसीए व टेकनिकल क्षेत्र के अनुभवी कर्मचारियों को रखा जाएगा। टेस्टिंग के लिए पृथक ट्रैक होंगे। यह सेंटर राज्य सरकार के परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के देख-रेख में संचालित होंगे। फिटनेस टेस्ट में फेल होने वाले वाहनों का पुन: टेस्ट कराने के मामलों को परिवहन आयुक्त देखेंगे।