
रांची। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ झारखंड प्रदेश (प्राथमिक प्रकोष्ठ) ने शिक्षा सचिव से स्कूल में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर जारी आदेश की समीक्षा करने की मांग की है। संगठन के मुताबिक इस आदेश से राज्य के शिक्षक और उनके परिवार चिंतित हैं। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के आदेश के मद्देनजर वर्क फ्रॉम होम का आदेश जारी करने की मांग की है।
महासंघ के प्रदेश संयोजक आशुतोष कुमार, प्रदेश सह संयोजक विजय बहादुर सिंह और प्रदेश मीडिया प्रभारी अरुण कुमार दास ने कहा कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा 19 अप्रैल, 2021 को निर्गत आदेश विद्वेष पूर्ण और पूर्वाग्रह से ग्रसित है। राज्य के मुख्य सचिव द्वारा निर्गत आदेश की अवहेलना करने वाला है।
पदधारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मुख्य सचिव राज्य में कोरोना संक्रमण को रोकने, जनता का जीवन एवं जीविका को यथासंभव सुरक्षित करने के लिए लगातार चिंतित हैं। इसके नियंत्रण को लेकर कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। इसके तहत राज्य के सभी विद्यालयों को पूर्णतया बंद रखते हुए शिक्षकों को (वर्क फ्रॉम होम) डिजिटल माध्यम से शिक्षण कार्य करने का आदेश निर्गत कर चुके हैं।
पदधारियों ने कहा कि इस आदेश को दरकिनार कर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने शिक्षकों को रोस्टर के आधार पर विद्यालय में उपस्थित होकर कार्य करने का आदेश निर्गत किया है। यह विद्वेष पूर्ण आदेश प्रतीत होता है। ऐसे अव्यवहारिक आदेश से शिक्षक, उसके परिवार एवं अभिभावकों को जानबूझकर कोरोना संक्रमण का वाहक बनने को मजबूर किया जा रहा है। यह राज्य की शिक्षा एवं शिक्षक के लिए चिंता का सबब बना हुआ है।
महासंघ ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और विभाग के सचिव से आग्रह किया है कि वैश्विक महामारी के इस दौर में सरकार के कदम-से-कदम मिलाकर चलने वाले शिक्षकों के प्रति संवेदनशीलता पूर्वक विचार करें। उक्त आदेश की समीक्षा करते हुए सकारात्मक सोच के साथ आदेश निर्गत किया जाए।