नई दिल्ली। यह अंदाजा लगाना सरल नहीं है कि थाली व ताली बजाकर और दीप जलाकर आपने कोरोना वॉरियर के प्रति जो सम्मान व आदर प्रकट किया, वह उनके दिल को कितना छू गया। वही कारण है कि वे पूरे साल बिना थके, बिना रुके, डटे रहे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम की यह कहकर अपने आलोचकों को सीधा जवाब दिया।
‘मन की बात’ कार्यक्रम की 75वीं कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी ने स्मरण कराया कि पिछले वर्ष वह मार्च का ही महीना था। देश ने पहली बार ‘जनता कर्फ्यू’ शब्द सुना था। लेकिन इस महान देश की महान प्रजा की महाशक्ति का अनुभव देखिये! जनता कर्फ्यू पूरे विश्व के लिए एक अचरज बन गया था। अनुशासन का यह अभूतपूर्व उदहारण था। आने वाली पीढ़ियां इस एक बात को लेकर जरूर गर्व करेंगी। उस विकट परिस्थिति में प्रधानमंत्री ने देश की जनता से थाली व ताली बजाकर और दीप जलाकर कोरोना वॉरियर के प्रति सम्मान व आदर प्रकट करने की अपील की थी, जिसकी कई लोगों ने आलोचना की। आज प्रधानमंत्री ने बिना किसी का नाम लिए , विनम्र तरीके से उन आलोचनाओं का जवाब भी दे दिया।
उन्होंने कहा कि पिछले साल इस समय सबके सामने यह सवाल था कि कोरोना की वैक्सीन कब तक आएगी? साथियों, हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम प्रोग्राम चला रहा है। भुवनेश्वर की पुष्पा शुक्ला का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि टीकाकरण कार्यक्रम की तस्वीरों के बारे में भुवनेश्वर की पुष्पा शुक्ला जी ने मुझे लिखा है। उनका कहना है कि घर के बड़े बुजुर्गों में वैक्सीन को लेकर जो उत्साह दिख रहा है, उसकी चर्चा मैं ‘मन की बात’ में करूं।
इस संबंध में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश के कोने-कोने से हम ऐसी खबरें सुन रहे हैं और तस्वीरें देख रहे हैं, जो हमारे दिल को छू जाती हैं। उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 109 वर्ष की बुजुर्ग मां (राम दुलैया जी) ने टीका लगवाया है। दिल्ली में भी 107 साल के केवल कृष्ण जी ने कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण कराया। हैदराबाद में 100 साल के जय चौधरी जी ने टीका लगवाया।
उन्होंने अपील करते हुए कहा कि टीका जरूर लगवाएं। मैं ट्वीटर-फेसबुक पर यह देख रहा हूं कि कैसे लोग अपने घर के बुजुर्गों को टीका लगवाने के बाद फोटो साझा कर रहे हैं। केरल से एक युवा आनंदन नायर ने तो इसे एक नया शब्द दिया है – ‘वैक्सीन सेवा’। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आप सभी श्रोताओं के इस विचारों की सराहना करता हूं। इन सबके बीच, कोरोना से लड़ाई का मंत्र भी जरूर याद रखिए ‘दवाई भी – कड़ाई भी।’