कृषि कानून पर विधानसभा में चर्चा असंवैधानिक : बाबूलाल मरांडी

झारखंड
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  • किसानों को धोखा देने वाली कांग्रेस-झामुमो कर रही राजनैतिक ड्रामा

रांची। भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कांग्रेस एवं झामुमो को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि लोकसभा, राज्यसभा से पास कृषि कानून पर विधानसभा में चर्चा किया जाना असंवैधानिक है। कांग्रेस और झामुमो किसानों को बरगलाने का कार्य कर रही है। चुनाव में भी बड़े-बड़े वादे कर किसानों को धोखा देने का काम किया है। झारखंड के किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

विधानसभा सत्र के दौरान 22 मार्च को कृषि कानून पर आहूत चर्चा को लेकर वे प्रदेश कार्यालय में प्रेस से बात कर रहे थे। उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी हताशा में है। कांग्रेस को अहसास हो चुका है कि देश की सत्ता में वे कभी नहीं लौटेंगे। यही कारण है कि कई मुद्दों पर बेवजह विरोध दर्ज कराना, कृषि कानून पर चर्चा करना, यह लोकतंत्र में गलत परिपाटी शुरू कर रही है।

मरांडी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री ने कहा है कि विपक्ष कानून में खामियां बताए। सदन में चर्चा को तैयार हैं। इसके बावजूद कांग्रेस बेवजह इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है। वर्ष 2019 में राहुल गांधी ने एपीएमसी हटाने की बात की थी। मोदी सरकार ने मंडी व्यवस्था को यथावत बने रहने दिया है। किसानों को कृषि कानून के तहत अतिरिक्त विकल्प दिया गया है।

पूर्व सीएम ने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कृषि सुधार का वादा किया था। अब इस कानून पर राजनैतिक ड्रामा कर रही है। कांग्रेस के जमाने में स्वामीनाथन रिपोर्ट आई, किन्तु यह रिपोर्ट धूल फांकती रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जमीन पर उतारने का काम किया। कानून बनाने का कार्य किया।     

मरांडी ने कहा कि कांग्रेस और दूसरी विरोधी दल एमएसपी के नाम पर किसानों को भड़काने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री बार-बार कह चुके हैं कि एमएसपी व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी। यहां तक कि फसलों की एमएसपी और बढ़ा दी गयी है। कांग्रेस ने किसानों के लिए 55 वर्ष में कुछ नहीं किया, बल्कि कर्जा माफी के नाम पर भारी घोटाला किया। किसानों को गुमराह कर राजनीति करना कांग्रेस की पुरानी आदत रही है।

मरांडी ने कहा कि कांग्रेस-झामुमो एक तरफ कृषि कानून पर असंवैधानिक तरीके से विधानसभा में चर्चा करने को आतुर है, वहीं दूसरी ओर झारखंड में किसानों का बुरा हाल है। झारखंड के किसान अपना धान बिचौलियों को बेचने को मजबूर हैं। झारखंड की हेमंत सरकार धान खरीद में फिसड्डी साबित हुई है। कांग्रेस झामुमो सिर्फ हल्ला करने वाली पार्टी बन गयी है। मालूम हो कि 22 मार्च को विधानसभा में सत्र के दौरान कृषि कानून पर चर्चा आहूत की गई है। यह पूरी तरह असंवैधानिक है। मौके पर प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक और प्रवक्ता अविनेश कुमार सिंह मौजूद थे।