नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी बहादुर अली ऊर्फ सैफुल्लाह मंसूर को दस साल की सश्रम कैद की सजा सुनाई है। डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज दिनेश कुमार शर्मा ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ये फैसला सुनाया। एनआईए ने बहादुर अली को 25 जुलाई 2016 को गिरफ्तार किया था। बहादुर अली प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य है। उस पर आरोप था कि उसने दिल्ली समेत देश के विभिन्न स्थानों पर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रची थी।
कोर्ट ने बहादुर अली को भारतीय दंड संहिता की धारा 120(बी), 121ए, 189(सी) और यूएपीए की धारा 17,18,20 और 38, आर्म्स एक्ट की धारा 7, 10, 25 और 9बी , फारेनर्स एक्ट की धारा 1 और इंडियन वायरलेस टेलीग्राफी एक्ट 1933 की धारा 6(1ए) के तहत दोषी पाया। एनआईए के मुताबिक बहादुर अली अपने दो सहयोगियों अबु साद और अबु दर्दा की मदद से पाकिस्तान से भारत के जम्मू-कश्मीर में दिल्ली समेत देश के विभिन्न स्थानों पर हमले के मकसद से घुसा था। वे पाकिस्तान स्थित अपने आकाओं के इशारे पर काम कर रहे थे। बहादुर अली को कुपवाड़ा जिले के यामाहा मुकाम से एके 47 राइफल, यूबीजीएल, गोला-बारुद, हैंड ग्रेनेड, सेना का नक्शा, वायरलेस सेट, जीपीएस, कंपास, भारतीय नोट इत्यादि के साथ गिरफ्तार किया गया था।
जांच के दौरान बहादुर अली ने लश्कर-ए-तैयबा की ओर से आतंकियों को प्रशिक्षित करने और नये युवाओं को रिक्रूट करने की योजना का खुलासा किया। इस मामले में एनआईए ने 6 जनवरी 2017 को चार्जशीट दाखिल की थी। बहादुर अली के दो सहयोगियों को एनआईए ने 14 फरवरी 2017 को एनकाउंटर के दौरान कुपवाड़ा के हंदवाड़ा में मार गिराया था। बहादुर अली की निशानदेही पर एनआईए ने जम्मू-कश्मीर के उसके दो सहयोगियों जहूर अहमद पीर और नाजिर अहमद पीर को गिरफ्तार किया था।