मिले हाथ और अंर्तराष्ट्रीय जल दिवस पर बन गया इतिहास

झारखंड सरोकार
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खूंटी। अंर्तराष्ट्रीय जल दिवस पर झारखंड के खूंटी जिला ने जल संरक्षण में इतिहास रच दिया। जिला प्रशासन, सेवा वेलफेयर सोसाईटी और क्षेत्र की ग्राम सभाओं के संयुक्त प्रयास से एक ही दिन में जिले के अलग-अलग गांवों में 800 से ज्यादा ग्रामीण, डीसी, एसपी समेत पुलिस कर्मियों ने श्रमदान कर 26 बोरीबांध बनाने का काम किया है। जल संरक्षण की दिशा में इसे एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। जल दिवस के अवसर पर मुख्य कार्यक्रम कर्रा प्रखंड के लिमड़ा गांव में हुआ। इस पंचायत में जल महापर्व मनाया गया। इसमें डीसी शशि रंजन, एसपी आशुतोष शेखर, जिला कृषि पदाधिकारी कालीपद महतो, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी शामिल हुए। लिमड़ा गांव में लगभग 400 ग्रामीण महिला-पुरूषों ने श्रमदान कर 10 बोरीबांध बना डाला।

बारिश के पानी को सीरियल बोरीबांध बनाकर रोकें

जल महापर्व के अवसर पर आयोजित सामारोह में डीसी ने कहा कि पानी के प्रति हमें अपनी सोच को बदलने की जरूरत है। गांव में हमें पानी का बजट बनाना होगा। पीने, सिंचाई और भूगर्भ जलस्तर को बेहतर बनाने के लिए कितने पानी की आवश्यकता होगी, इसपर सोचना होगा। उन्होंने कहा कि खूंटी में बारिश कम नहीं होती है, लेकिन पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण पानी बहकर निकल जाता है। हमें बहते पानी की गति को कम कर उसे गांव के नालों में सीरियल बोरीबांध बनाकर रोकना है। ऐसा करके हम जल संकट की समस्या से उबर सकते हैं। डीसी ने लिमड़ा गांव के लोगों के द्वारा सामूहिक रूप से श्रमदान कर बोरीबांध बनाये जाने पर उन्हें बधाई दी। उन्होंने बोरीबांध के साथ गांव में मनरेगा के तहत टीसीबी, पौधारोपण और तालाब बनाने पर भी बल दिया। डीसी ने लोगों को सचेत करते हुए कहा कि अगर जल संरक्षण को लेकर हम चिंता नहीं करते हैं, तो आने वाले दिनों में हमें भीषण जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।

सामुदायिक रूप से काम करने की जरूरत है

एसपी आशुतोष शेखर ने कहा कि सेवा वेलफेयर सोसाईटी और ग्राम सभाओं द्वारा किये जा रहे कार्य नि:संदेह काफी सराहनीय है। उन्होंने कहा कि लिमड़ा गांव में जिस तरह से गांव के नाले को सीरियल बोरीबांध बनाकर जिंदा करने का प्रयास किया गया है, वह अपने आप में गांव की एक बड़ी उपलब्धि है। एसपी ने कहा कि हमें जल और हवा के संरक्षण को लेकर जागरूक होना होगा। उन्होंने कहा कि समाज और देश में बदलाव के लिए लिमड़ा पंचायत के लोगों की तरह ही सामुदायिक रूप से काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गांव के लोग स्थानीय संसाधनों का इस्तेमाल कर आगे बढ़ें, प्रशासन हर पल मदद को तत्पर है।

कई गांवों में उत्सवी माहौल में बना बोरीबांध

जिलावासियों ने जल संरक्षण को लेकर गांवों में बोरीबांध बनाया। खूंटी के अलग-अलग गांवों में 26 बोरीबांध का निर्माण किया गया। इसमें 800  ग्रामीण महिला-पुरूषों ने और 50 पुलिसकर्मियों ने श्रमदान किया। लिमड़ा, सुरूंदा, सरजोमा, गजगांव, कोलोम्दा, पुलिस लाईन के पास, चीरूहातु और पेलौल में बोरीबांधों का निर्माण हुआ। बोरीबांधों के निर्माण में लिमड़ा की मुखिया लक्ष्मी देवी, गणेश कच्छप, सुरेंद्र गोप, शिबू उरांव, लखीराम बड़ाईक, सुनी खान, मंसूर आलम, कंचन उरांव, नंदू उरांव, जोगिया पाहन, गजगांव में मुखिया विलशन पूर्ति‍, सरजमा में सुरजू टूटी, मोसो मुंडा, मंदरू मुंडा, चाड़ा पूर्ति‍, बिरसकेतु मुंडा, बहादुर मुंडा, अन्या गोस्वामी, सुरूंदा में सवना मुंडू, जोहन मुंडू, अब्रहाम पाहन, करम मुंडू, पौलुस मुंडू, डीबर मुंडा, संतोष मुंडू समेत ग्राम सभाओं के सैकड़ों सदस्य शामिल थे।