गिरिडीह : मजदूरों के शव निकालने खदान में उतरी रेस्क्यू टीम तीसरे दिन भी खाली हाथ

झारखंड मुख्य समाचार
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– अभ्रक खदान से मजदूरों के शव निकालने पहुंची एनडीआरएफ की टीम, नहीं मिला कोई शव 

गिरिडीह। अभ्रक की खदान धंसने से हुई दो मजदूरों की मौत के तीसरे दिन शुक्रवार को यहां पहुंची एनडीआरएफ की रेस्क्यू टीम को उनका शव निकालने में कोई सफलता नहीं मिल पाई। इस दौरान गिरिडीह डीसी राहुल सिन्हा, एसपी अमित रेणु, खोरीमहुआ एसडीएम धीरेन्द्र सिंह, खनन पदाधिकारी सतीश नायक समेत भी पुलिस जवानों के साथ पहुंचे थे। 

शुक्रवार को कड़ी धूप में एनडीआरएफ की टीम के 10 जवान धंसी हुए खदान में करीब चार सौ फीट भीतर घुसे लेकिन खदान के भीतर से टीम के जवानों को खाली हाथ ही निकलना पड़ा। चार सौ फीट अंदर जाने के बाद भी एनडीआरएफ टीम के जवानों को खदान के भीतर से कुछ हाथ नहीं लगा। देवघर से आज गिरिडीह पहुंचे एनडीआरएफ की टीम के डीएसपी के नेतृत्व में खदान के भीतर सर्च ऑपरेशन चलाया गया। जानकारी के अनुसार जवानों ने खदान के भीतर करीब तीन से चार घंटे तक दोनों मजदूरों के शव को तलाशा। इस दौरान शव तो हाथ नहीं लगा लेकिन खदान के भीतर आठ से 10 किलो के वजन के ढिबराें के ढेर जरूर निकल रहे थे। खदान से निकल रहे यही ढिबरा इलाके के अभ्रक माफिया के करोड़पति बनने का राज भी रहा। इधर खदान से शव के बजाय ढिबरों के ढेर निकलने के कारण ही डीसी के निर्देश पर तिसरी प्रखंड के लोकायनयनपुर के मंशाडीह के सकसोकिया जंगल के इस खदान को डोजरिंग कर बंद कर दिया गया। 

बुधवार को इसी सकसोकिया जंगल में अभ्रक खदान के धंसने से दो मजदूरों की मौत की बात कही जा रही थी, जिसमें तिसरो के संगीत राणा और रंजीत राय थे। अभ्रक खदान के धंसने से हुए दो मजदूरों की मौत की घटना ने स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के भी होश उड़ा दिए थे। आनन-फानन में शवों को बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ का सहयोग लेने की बात कही गई थी। घटना के दूसरे दिन सकसोेकिया जंगल की इस अभ्रक खदान के संचालकों में इलाके के कारु बरनवाल, पिंटू बरनवाल, शैलेन्द्र बरनवाल समेत चार अभ्रक खदान संचालकों के नाम सामने आए थे, जिनके खिलाफ लोकायनयनपुर थाना में केस भी दर्ज किया गया था।