- बिहार के भागलपुर के मुर्गी उत्पादक युवाओं के प्रशिक्षण का समापन
रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा संकाय में बिहार के भागलपुर जिले के 45 मुर्गी उत्पादक युवाओं का तीन दिवसीय प्रशिक्षण का समापन शनिवार को हुआ। यह कार्यक्रम आर्या परियोजना अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र, सबौर, भागलपुर के सौजन्य से संकाय के पशु उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग के द्वारा आयोजित किया गया।
प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को मुर्गी का पालन पोषण, खिलाने का दाना मिश्रण, मांस एवं अंडा उत्पादन के लिए पाली जाने वाली मुर्गी का दाना एवं रख-रखाव प्रबंधन, ब्रूडर गृह की तैयारी, जल एवं आहार का प्रबंधन, आवास की व्यवस्था, मुर्गियों में टीकाकरण की अवधि, दवाई, खुराक एवं विधि, ब्रायलर मुर्गी पालन, बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग, मुर्गियों के रोग की पहचान एवं उपचार के बारे में बताया गया। साथ ही कॉलेज के मुर्गी फार्म के चूजा उत्पादन केंद्र, चूजा पालन गृह, प्रजनन गृह, बढवारी मुर्गी पालन गृह में व्यावहारिक तकनीकों की जानकारी दी गई।
प्रतिभागियों को पशु उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग के अध्यक्ष एवं डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद सहित डॉ रविंद्र कुमार, डॉ निशांत पटेल, डॉ पवन कुमार, डॉ धर्म साहू, डॉ केएल जेफ्ट ने प्रशिक्षण प्रदान किया। समापन समारोह में डॉ सुशील प्रसाद ने कहा कि शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी के मांस एवं अंडों की खपत बढ़ने से मुर्गीपालन में रोजगार एवं व्यवसाय की काफी संभावनाएं है। शहरी क्षेत्र में ब्रायलर उत्पादन एवं ग्रामीण परिवेश में बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग से आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। उन्नत नस्ल, मांस एवं अंडो वाली मुर्गियों का अलग-अलग वैज्ञानिक प्रबंधन से अधिकतम लाभ लिया जाना संभव है। मौके पर डॉ प्रसाद ने सभी 45 प्रशिक्षाणार्थी को प्रमाण-पत्र प्रदान किया।
पलामू के किसानों ने परिभ्रमण किया
बायोटेक किसान हब कार्यक्रम के तहत कृषि विज्ञान केंद्र, चियांकी (पलामू) के सौजन्य से 60 किसानों के दल ने वेटनरी कॉलेज स्थित मुर्गी एवं सूकर फार्म का भ्रमण किया। मौके पर डीन वेटनरी एवं मुर्गी फार्म प्रभारी डॉ सुशील प्रसाद ने बताया कि कोरोनाकाल में मुर्गी फार्म में बाहरी लोगों को प्रवेश नहीं करने दे। बढ़वार के लिए चूजों को प्रोटीनयुक्त आहार खिलायें। मुर्गी को प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट एवं वसा युक्त आहार मकई का दर्रा, खल्ली व हरा चारा खिलायें। मुर्गी सहित पशुओं के पालन में उन्नत नस्ल, आवास एवं आहार की व्यवस्था, रोग की पहचान एवं उपचार, टीकाकरण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने बीमार पशु को टीका नहीं लगाने का सुझाव दिया। ग्रामीण स्तर पर 20 किसानों का समूह बनाकर मुर्गीपालन करने तथा बाजार का लाभ लेने के टिप्स दिये।
बीमारियां एवं बचाव की जानकारी दी
सूकर फार्म में प्रभारी डॉ रविन्द्र कुमार ने किसानों को संकर नस्ल सूकर पालन में प्रबंधन की मुख्य बातें सूकरों में होने वाली प्रमुख बीमारियां एवं बचाव की जानकारी दी। कहा कि झारखंड में सूकर पालन में विवि की विकसित नस्ल झारसुक काफी उपयोगी साबित हो रही है। ग्रामीण आदिवासी की आजीविका का यह प्रमुख साधन बनता जा रहा है।