न्यूयॉर्क। म्यांमार में सैन्य तख्तापलट का मामला अब संयुक्त राष्ट्र मानव परिषद (यूएनएचआरसी) तक पहुंच गया है। यूएनएचआरसी ने म्यांमार में तख्ता पलट के बाद देश में लागू आपातकाल को हटाने के साथ ही हिरासत में लिए गए राजनेताओं को बिना शर्त तत्काल रिहा करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया है।
यूएनएचआरसी ने जारी एक बयान में कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को तत्काल बहाल करने और आपातकाल को हटाने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया है। परिषद के सभी सदस्यों ने बिना शर्त रिहाई के लिए आवाज उठाई, जिन्हें तख्तापलट के बाद हिरासत में लिया गया था। जिसमें स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट और अन्य लोग शामिल है।
इस बयान में आगे कहा गया कि म्यांमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर नजर रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के उच्चायुक्त और विशेष दूत की आवश्यकता है, जो वहां वर्तमान स्थिति की जानकारी ले सके। मानवाधिकार परिषद को अपनी रिपोर्ट में अपडेट प्रदान करने के लिए कहा है। बयान के अनुसार म्यांमार के अधिकारियों को संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार तंत्र के साथ जुड़ने और सहयोग करने के लिए कहा गया है।
यूरोपीय संघ (ईयू) की ओर से यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रिया द्वारा मसौदा प्रस्ताव पेश किया गया था। वोट देने की प्रक्रिया में चीन, रूसी संघ, वेनेजुएला, बोलीविया और फिलीपींस ने खुद को अलग रखा है।
बता दें कि म्यांमार की सेना ने तख्तापलट करते हुए देश की लोकतांत्रिक सरकार को अपदस्थ करते हुए सैन्य शासन लागू कर दिया है। देश में सभी तरह से सोशल मीडिया पर रोक लगा दी गई है। जनता सड़कों पर आकर विरोध प्रदर्शन कर रही है। म्यांमार में नागरिकों ने इस तख्तापलट का समर्थन करने वाले देश नेपाल, हांगकांग और अन्य देशों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
म्यांमार की सेना ने 1 फरवरी को तख्तापलट किया था। यहां एक साल के लिए आपातकाल लागू कर दिया गया है।